13 May 2024

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' भागवत पुराण  की  कथा , सत्य नारायण कथा , एकादशी  कथा  आदि  धार्मिक  कथाएं  इस  उदेश्य  से  लिखी  गईं  हैं   कि  उन  कथाओं  की  शिक्षा  को  व्यक्ति  अपने  जीवन  में  उतार  कर    श्रेय   पथ  पर   चले  ,  ईश्वर  ने  जो  शक्तियां  दीं  हैं  उनका  सदुपयोग  करे  l   किन्तु  आज  कथा  को  लोग   मनोरंजन  के  लिए  अथवा  धर्म लाभ  के  लिए  सुनते  हैं  l  "  ------------- एक  बार  संत  ज्ञानेश्वर  कथा  सुना  रहे  थे   कि  ज्ञान , भक्ति  , विवेक  और  शक्ति   परमात्मा  सत्पात्रों  को  देता  है  l  संत  ज्ञानेश्वर  के  ऐसा  कहने  पर  एक  महिला  नाराज  हो  उठी   और  बोली  ----- " तो  इसमें  भगवान  की  क्या  विशेषता   ?  उन्हें  तो  सबको  समान  अनुदान  देने   चाहिएं  l '  संत  उस  समय  तो  चुप  हो  गए  l  दूसरे  दिन  प्रात:काल  संत  ने  मोहल्ले  के  एक  मूर्ख   व्यक्ति  को   बुलाकर  कहा  कि   अमुक  स्त्री  से  जाकर   आभूषण  मांग  लाओ  l  मूर्ख  व्यक्ति  गया   और  आभूषण  मांगे  तो  उस  स्त्री  ने  उसे  झिड़क  कर  भगा  दिया  ,  उसे  कुछ  न  दिया  l  थोड़ी  देर  बाद  संत   ज्ञानेश्वर  स्वयं   उस  महिला  के  यहाँ  पहुंचे   और  बोले  ---- '  आप  एक  दिन  के  लिए  अपने  आभूषण   दे  दें  l  आवश्यक  काम  कर  के  लौटा  देंगे   l "  महिला  ने  बिना  कोई  प्रश्न   पूछे   संदूक  खोला   और  सहर्ष  आभूषण  सौंप  दिए  l  आभूषण  हाथ  में  लिए  संत  ज्ञानेश्वर  ने  उस  महिला  से  पूछा  ---- " अभी -अभी  दूसरा  व्यक्ति   आया  था  आपने  उसे  आभूषण   क्यों  नहीं  दिए  ?  '  महिला  बोली ---- "  उस  मूर्ख  को   कैसे  अपने  मूल्यवान  आभूषण  दे  देती   l "   संत  ज्ञानेश्वर  ने  कहा ---- "  बहन  !  जब  आप  अपने  सामान्य  से  आभूषण  बिना  सोचे -विचारे   कुपात्र  को  नहीं  दे  सकतीं  , तो  फिर  परमात्मा   अपने  दिव्य  अनुदानों  को   कुपात्रों  को  कैसे  सौंप  सकता  है  ?  वह  तो  बारंबार  इस  बात  की  परीक्षा  करता  है  कि   जिसको  अनुदान  दिया  जा  रहा  है  ,  उसमें  पात्रता  है  अथवा  नहीं  ,  वह  इस  अनुदान  का  सदुपयोग  कर  रहा  है  अथवा  नहीं  l '  

No comments:

Post a Comment