लघु -कथा ---- एक बार एक बड़े त्यागी महात्मा कहीं धर्मोपदेश करने गए और वहां से एक सोने का हार चुरा लाए l तीसरे दिन वे बड़े दुःखी मन से वहां पहुंचे और हार लौटाते हुए क्षमा मांगी l गृहस्थ को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतने त्यागी और विद्वान होते हुए भी क्यों इन्होने हार चुराया और क्यों लौटाने आए ? महात्मा जी ने बताया कि उस दिन उन्होंने जिस व्यक्ति के यहाँ से भिक्षा ली थी , वह चोर था l उसका अन्न भी चोरी से लाया हुआ था l उसे खाने से मेरी बुद्धि में चोरी के संस्कार पैदा हुए l इसके बाद पेट खराब हो गया , जब वह सारा विकार , चोरी का अन्न बाहर निकल गया तब सुबुद्धि लौटी तब मैं आपका हार लौटाने आया हूँ l
ऋषि कहते हैं --मनुष्य की सब इन्द्रियों में जिह्वा सबसे महत्वपूर्ण है l हाथ , पैर , आँख , कान सभी दो हैं , पर उनका काम एक ही है l पर जिह्वा एक है पर उसके काम दो हैं --- एक भोजन का स्वाद लेना और दूसरा बोलना l इन दोनों का संयम मनुष्य के जीवन को प्रभावित करने वाला है l भोजन का असंयम शरीर को अस्वस्थ बनाता है , तो दूसरी ओर मन के विचार को भी प्रभावित करता है l जैसा होगा अन्न , वैसा होगा मन l वर्तमान समय में तो स्थिति अत्यंत विकट है l कृषि उपज में इतनी रासायनिक खाद , रासायनिक उर्वरक , विशेष किस्म के बीज और ऐसे कीटनाशकों का प्रयोग होता है कि व्यक्ति कितने भी नियम , संयम से रहे , कोई बुरी लत भी न हो , तब भी कोई न कोई बीमारी घेरे रहती है l बड़े -छोटे सभी अस्पताल बीमारों से भरे हैं l अब सामान्य मृत्यु तो बहुत कम होती हैं , अधिकांश बीमारी से मरते हैं l इसके साथ संसार में अपराध , बेईमानी , भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि हर प्रकार के भोज्य पदार्थ में सात्विकता की कल्पना ही नहीं की जा सकती l वैचारिक प्रदूषण बढ़ गया है l
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