13 May 2024

WISDOM -----

   पुराण  की  कथा  है  ---- वृत्रासुर  ने  तपस्या  करके  अनेकों  वर  प्राप्त  किए  और  वह  बहुत  शक्तिशाली  हो  गया  था  l  कोई भी  तपस्या  कर  के  बहुत  शक्तिशाली  हो  जाये   तो   वह  देवराज  इंद्र  के  लिए  बहुत  बड़ा  खतरा  बन  जाता  था   और  तब  इंद्र  के  लिए  अपना  सिंहासन  बचाने  हेतु  उसका  अंत  करना  अनिवार्य  हो  जाता  था   लेकिन  वृत्रासुर  को  पराजित  करना  इतना  आसान  नहीं  था  l  महान  तपस्वी  महर्षि   दधीची  की  हड्डियों  से  बने  वज्र  से  ही   वृत्रासुर  का  अंत  हो  सकता  था   लेकिन  जब  तक  महर्षि  दधीची  की  धर्मपत्नी   भगवती  वेदवती  उपस्थित  थीं  ,  तब  तक  उनके  आश्रम  में  प्रवेश  करना   देवराज  इंद्र  के  लिए  भी  असंभव  था  l  इंद्र  सबसे  छिप  सकते  थे  , पर  सती  के  अपूर्व  तेज  के  समक्ष   छद्दम वेष  छिपा  सकना   उनके  लिए  संभव  नहीं  था  l  इसलिए  जव  वेदवती  जल  भरने  के  लिए  आश्रम  से  बाहर  निकलीं   तब  इंद्र  ने  आश्रम  में  प्रवेश  किया   और   संसार  के  कल्याण  के  लिए  महर्षि  से  अस्थिदान  का  निवेदन  किया  l  असुरों  के  अंत  और  लोक कल्याण  के  लिए  महर्षि  दधीची  ने  तुरंत  प्राण त्याग  कर  अस्थिदान  कर  दिया  l  वेदवती  जल  भरकर  लौटीं  तो  एक  क्षण  में  ही  सारी  स्थिति  को  समझ  गईं  l  वे  इंद्र  को  शाप  देने  ही  जा  रहीं  थीं   कि  दिव्य  देहधारी  महर्षि  ने  परावाणी  में  उन्हें  समझाया  ---- " भद्रे  !   देवत्व  की  रक्षा  के  लिए   यह  दान  मैंने  स्वेच्छा  से  किया  है   इसलिए  शाप  देना  उचित  नहीं  है  l  अब  तुम  अपने  गर्भस्थ  शिशु    का  ऐसा  निर्माण  करो   कि           ' तत्वशोध  '   की     हमारी  साधना  अधूरी  न  रह  जाये  l  "   वेदवती  ने  महर्षि  की  आज्ञा  को  स्वीकार  किया  और  इतिहास  साक्षी  है   कि  वेदवती  की  तपस्या  से  उनके  गर्भ  से    पिप्पलाद  जैसे  महान  ऋषि  का  जन्म  हुआ  और  उनके  तपस्वी  पति  महर्षि  दधीची  की  अंतिम  कामना  पूर्ण  हुई  l  

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