29 December 2024

WISDOM ----

   पुराण  की  विभिन्न  कथाएं  हमें  जीवन    जीना   सिखाती  हैं  l   मनुष्यों  में  ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार , स्वार्थ , लालच , बदले  की  भावना   आदि  ऐसे  दुर्गुण  हैं  जिनके  वशीभूत  होकर   वह  लोगों  को  पीड़ा , दुःख  देने  वाला  व्यवहार  करता  है  l  लेकिन  जो  इस  सत्य  को  समझता  है  कि  जिसके  पास  जो  है  वह  वही  देगा  , इसलिए  हमें  मान -अपमान  में  तटस्थ  रहना  चाहिए  , उसे  अपने  ऊपर  हावी  नहीं  होने  देना  है   तभी  हम  शांति  से  जी सकेंगे  l ----- राजा  उत्तानपाद  के  दो  रानियाँ  थीं  , सुनीति  और  सुरुचि  l  राजा  छोटी  रानी  सुरुचि  को  चाहते  थे   और  उसकी  अनुचित बातों  का  भी  समर्थन  करते  थे  l   एक  दिन   सुरुचि  का  पुत्र  उत्तम  राजसभा  में  महाराज  की  गोद  में  बैठा  था  , उसी  समय  बड़ी  रानी  सुनीति  का  पांच  वर्षीय   पुत्र  ध्रुव  भी  खेलते  हुए  आए   और  महाराज  की  गोद  में  बैठ  गए  l  यह  देखकर   सुरुचि  को  बहुत  ईर्ष्या  हुई  , उसने   तुरंत   ध्रुव  को  राजा  की  गोद  से  खींचकर  उतार  दिया  और  फटकारते  हुए  कहा  --- " महाराज  की  गोद  में  बैठना  है  तो   मेरी  कोख  से  जन्म  लेना  होगा  l "  महाराज  और  सारी  सभा  चुप  देखती  रही  और  ध्रुव  अपमानित  होकर  रोते  हुए  अपनी  माँ  सुनीति  के  पास  गए   और  सब   बात   कही  l   तब  माँ  ने  समझाया  ----- " पुत्र  !  पिता  की  गोद  से  सौतेली  माँ  तुम्हे  उतार  सकती  है   लेकिन  जो  परम  पिता  की  गोद में  बैठता  है  उसे   उनकी  गोद  से    कोई  नहीं  उतार  सकता  l   इस  स्रष्टि  के  राजा  भगवान  हैं  ,  उन्ही  परम  पिता  को  तुम  पुकारो  , प्रार्थना  करो  l  वे  तुम्हारी  प्रार्थना  अवश्य  सुनेंगे  l  माता  की  प्रेरणा  से  पांच  वर्षीय  बालक  ध्रुव  तपस्या  के  लिए   वन  की  ओर  चल  पड़े  , सारे  महल  में  हाहाकार  मच  गया  l  राजा  ने  और  सभी  ने  उन्हें  वापस  लौटने  के  लिए  बहुत  प्रयास  किया   लेकिन  ध्रुव  का  निश्चय  अटल  था  l  मार्ग  में  उन्हें  नारदजी  मिल  गए  l  उन्होंने  ध्रुव  को  मन्त्र  और  ध्यान  आदि  की  सब  विधि  समझा  दी  l  बालक  ध्रुव  की  कठिन  तपस्या  से  प्रसन्न  होकर  भगवान    उनके  सामने  प्रकट  हो  गए   और  ध्रुव  को  वरदान  दिया  कि  दीर्घकाल   तक  राज्य   भार   स्संभालना  होगा   फिर   तुम्हे  वह  अटल , स्थिर  ध्रुव  पद  प्राप्त  होगा  जहाँ  से  तुम्हे  कोई  हटा  नहीं  सकेगा   और  संसार  को  दिशा  प्राप्त  होगी  l   

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