30 November 2025

WISDOM ----

 सभी  प्राणियों  में  मनुष्य  ही  एकमात्र  ऐसा  है   जिसके पास  वह  क्षमता  है  कि  वह  चेतना  के  उच्च  स्तर  तक  पहुँच  सकता है ,  नर  से  नारायण  l     लेकिन  दुर्बुद्धि  ऐसी  हावी  है  कि    उसे  नीचे  गिरना  अधिक  सरल  प्रतीत  होता  है   और  वह  विभिन्न  पापकर्मों  में  लिप्त  होकर   नर  से  नराधम  और  नर- पिशाच  बनने  की  दिशा  में  निरंतर  प्रयत्नशील  है  l  खुदाई  में  मिलने  वाले  विभिन्न  सभ्यताओं  के  अवशेष  यही  बताते  हैं   कि  ये पहले  कभी  बहुत  उन्नत  सभ्यताएं  थीं  लेकिन  कोई  एक  ऐसी  आपदा  आई  कि  वे   धूल  में  मिल  गईं  l  ये  आपदाएं  प्राकृतिक  और  वैज्ञानिक  कारणों  से  ही  नहीं  आतीं  ,  इसके  लिए    मनुष्यों  द्वारा  किए  जाने  वाले  पापकर्म , अत्याचार , अनाचार ,   ईश्वरीय  नियमों  की  अवहेलना  करना  , अनैतिकता , अपराध   उत्तरदायी  हैं  l  धरती  बेजान  नहीं  है  ,  यह  माँ  हैं  , सृजन  करती  हैं  l हमें  सभी  खाद्य  पदार्थ , खनिज   आदि  जीवन  के  लिए  आवश्यक  सभी  कुछ   धरती  के  गर्भ  से  ही  मिलता  है  l  धरती  माँ  के  सामने  ही   जब  मनुष्य  के  पापकर्मों  की  अति  हो  जाती  है   तो  ये  प्राकृतिक  आपदाएं   उनका  क्रोध  और  रौद्र  रूप  है  l  अनेकों  सभ्यताओं  के  अवशेष  देखकर  भी  मनुष्य  सुधरता  नहीं  है , सन्मार्ग  पर  नहीं  चलता  ,  स्वयं  ही  अवशेष  बनने  की  दिशा  में  गतिशील  है   l  

24 November 2025

WISDOM -----

   पं . श्रीराम  शर्मा आचार्य जी  लिखते  हैं  --- ' आज  सबसे  बड़ी  आवश्यकता   आस्था  और  विचारों  को  बदलने  की  है  l  इन  दिनों  आस्था  संकट  सघन  है  l  लोग  नीति और  मर्यादा  को  तोड़ने  पर  बुरी  तरह  उतारू  हैं  l  अनाचार  की  वृद्धि  से  अनेकों  संकटों  का  माहौल  बन  गया  है  l  न  व्यक्ति  सुखी  है  न  समाज  में  स्थिरता  है  l  समस्याएं  , विपत्तियाँ  निरंतर  बढ़ती  जा  रही  हैं  l  स्थिर  समाधान  के  लिए  जनमानस   के  द्रष्टिकोण  में  परिवर्तन  , चिन्तन  का  परिष्कार   और  सत्प्रवृत्ति  संवर्द्धन  ,प्रमुख  उपाय  है  l  "    संसार  में  विभिन्न देशों  की  सरकारें  सामाजिक  सुधार  और  कल्याण  के  लिए  अनेकों  नियम , कानून   बनाती   हैं  लेकिन  यदि   जनमानस  के  विचार  श्रेष्ठ  नहीं  हैं  , चिन्तन  परिष्कृत  नहीं  है   तो  उन  नियमों   से  कोई  विशेष  समाज  में  परिवर्तन  नहीं  होता  l   मानसिकता  नहीं  बदलने  से   मनुष्य   ऐसे  कार्य  जो  कानून  द्वारा  प्रतिबंधित  हैं  , वह   उन्हें  छिपकर  करने  लगता  है  l   अच्छाई  में  बढ़ा आकर्षण  होता  है  इसलिए  बड़े  से  बड़ा  पापी  भी  स्वयं  को  समाज  में  बहुत  सभ्य  और  प्रतिष्ठित  दिखाना  चाहता  है  l  वह  अपनी  मानसिक   विकृतियों    और  पापकर्मों  को   समाज  और  परिवार  से  छिपकर  अंजाम  देता  है  l  संचार  के  साधनों  ने  पाप  और  अपराध  का  भी  वैश्वीकरण  कर  दिया  l   आचार्य श्री  कहते  हैं  --- ' यदि  समस्याओं  का  समाधान  निकालना है  तो  अपने  जीवन  का  लक्ष्य   ' जीवन ' को  बनाना  चाहिए   l  व्यक्ति  के  जीवनक्रम  और   चरित्र  को  बनाने  के  लिए   आस्तिकता  और  ईश्वर  भक्ति  की  आवश्यकता   है  ताकि  मनुष्य  जाति  का  व्यक्तिगत  और  सामाजिक   जीवन   श्रेष्ठ  व  समुन्नत  बना  रहे  l  "  

20 November 2025

WISDOM -------

 संसार  में  आज  जितनी  भी समस्याएं  हैं  उनका  एकमात्र    कारण  मनुष्य  की दुर्बुद्धि  है  l  इस  दुर्बुद्धि  के  कारण  मनुष्य  स्वयं  अपने  पतन  के  साधन  जुटा  लेता  है  l  इस  दुर्बुद्धि  के  कारण  मनुष्य  ने  भूमि , जल , वायु  , नदी तालाब   सबको  प्रदूषित  कर  दिया  l  अपने स्वार्थ  के  लिए समुद्र  को  गहराई  तक  खोद  कर  वहां  असंतुलन  कर  दिया  l  पहाड़ों  पर  पिकनिक  मनाकर  वहां  गंदगी  फैला  दी  l   अब  तीर्थ  जाने  के  पीछे  कोई  पुण्य  प्रयोजन  नहीं  है  ,  वहां    एन्जॉय  करना  , वीडियो  बनाना ----  दुर्बुद्धि  है  l  इस  कारण  प्रकृति   के   क्रोध  का  सामना  करना  पड़ता  है  l  ' अन्य  क्षेत्रे  कृतं पापं  ,  तीर्थ  क्षेत्रे  विनश्यति  l  तीर्थ  क्षेत्रे  कृतं  पापं  , वज्रलेपो  भविष्यति  l l   अर्थात  --अन्य  क्षेत्र  में  किया  गया  पाप  तीर्थ  क्षेत्र  में  नष्ट  हो  जाता  है  ,  किन्तु  तीर्थ  क्षेत्र  में  किया  गया  पाप   अकाट्य  होकर   जन्म -जन्मान्तर  तक  दुःखदायी  होता  है   l  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्र  में  मनुष्य   दुर्बुद्धि  से  ही  प्रेरित  है  l  l  अब  'जियो  और  जीने  दो '   को लोग  भूल  गए  अब  तो  स्वार्थ , अहंकार  और  महत्वाकांक्षा   इतनी  है  कि  ' मारो -काटो , धक्का  दो  ---- की  स्थिति  है  l  जब  स्वयं  का  जीवन  अशांत  है  तो  बाहर  शांति  कैसे  होगी  ?  ------- एक  महातम  नाव  पर  यात्रा  कर  रहे  थे  , प्रभु  कीर्तन  कर  रहे  थे  l  l  नाव  में  ही  कुछ  दुष्ट  बैठे थे  l   उन्हें  मसखरी  सूझी  l   वे  उनकी  गंजी  खोपड़ी   पर  चपत लगाने  लगे  l  दूसरे  लोग  जो  बैठे  थे  उनकी  हिम्मत  नहीं  हुई  कि  उन्हें  रोकते  l  आकाश  के  देवता  यह  द्रश्य  देख  रहे  थे  ,  बड़े  क्रुद्ध  हुए  l  उन्होंने  महात्मा  से  कहा  ----  "  हे  भद्र  पुरुष  !  आप  अति  सहनशील  हैं  l  आप  कहें  तो  नाव  उलट  दें  ,  इन  सबको  डुबो  दें  l  आप  बताएं  क्या  दंड  दें  ? "   महात्मा  हँसते  हुए  बोले  --- "  उलटना  और  डुबोना  तो  सब  जानते  हैं  l  आपको  देवता  कहा  जाता  है  l  इन्हें  उलटकर  सीधा  कर  दीजिए  l  इनकी  बुद्धि  बदल  दीजिए  l  डुबाने  की  अपेक्षा  उबार  दीजिए  l  "  देवताओं  ने  वही  किया  l    संसार  में  उलटी  बुद्धि  को  उलटकर  सीधा  करने  की  ज्यादा  जरुरत  है  l   ईश्वर  ने  बार -बार  अवतार  लेकर  असुरों  का  अंत  किया  ,  लेकिन  असुरता  का  अंत  नहीं  हुआ  l   वह  तो  संस्कार  के  रूप  में  पीढ़ी -दर -पीढ़ी   चली  आ  रही  है   और   नीचे  गिरना  अधिक  आसान  होता  है  इसलिए  संक्रामक  रोग  की  भांति   फैलती  जा  रही  है  l  इसलिए  इस  युग  में  ईश्वर की  यही  प्रेरणा  है  कि  अपनी  दुर्बुद्धि  को  सद्बुद्धि  में  बदलो  ,  असुरता  से  देवत्व  की  ओर  कदम   बढ़ाओ  "  इसका  केवल  एक  ही  रास्ता है  ' गायत्री -मन्त्र  '  जिसमें  ईश्वर  से  सद्बुद्धि  की  याचना  की  गई  है  l  गायत्री  मन्त्र  के  जप  के  साथ   इसमें  बताये  गए  विधान  के  अनुसार  आचरण  करो   तभी  संसार  का  कल्याण  संभव  है  l  

15 November 2025

WISDOM -----

   संसार  में  अँधेरे  और  उजाले  का संघर्ष  तो   आदिकाल  से  ही  रहा  है    लेकिन  अब  जो  स्थिति  है   उससे  यही  स्पष्ट  होता  है   कि   अंधकार    सम्पूर्ण  धरती  पर  अपना  एकछत्र  साम्राज्य  स्थापित  करने  की  पूरी  तैयारी  में  l  मनुष्य  की  कामना , वासना , महत्वाकांक्षा , स्वार्थ , लालच  ,  ईर्ष्या , द्वेष  अपने  चरम  पर  पहुँच  गया  है    इस  कारण  नकारात्मक  शक्तियों   के  लिए  अपना  काम  करना  बहुत  आसान  हो  गया  है  l   भूत , प्रेत , पिशाच , जिन्न  ------ आदि  के  पास  अपना  शरीर  नहीं  होता   , ये  किसी  न  किसी  प्राणी  के  शरीर  में  प्रवेश  कर  अपना  काम  करती  हैं  l  यदि  ये  नकारात्मक  शक्ति  किसी  परिवार  के  मुखिया  के  शरीर  में  प्रवेश  कर  गईं  तो  वह  अपने  साथ  पूरे  परिवार  को  पतन  की  गर्त  में  धकेल  देगा  l  यदि  ऐसा  कोई  डीमन  किसी  पावरफुल  व्यक्ति  ,  किसी  साम्राज्य  के  अधिपति    में  प्रवेश  कर  गया   , तो   जो  दास्ताँ  सामने  होगी  वह  बहुत  दर्दनाक  होगी  l  ऐसा  कहते  हैं  हिटलर  के   भीतर    कोई   डीमन  था   l   जो  परिणाम  हुआ  वह  संसार  के  सामने  है  l  प्राकृतिक  आपदाएं  तो  आकस्मिक  होंगी  l  मनुष्य  ने  परिस्थितियों  को  सुधारने  का  कोई  प्रयास  नहीं  किया    तो  वह  रोता  हुआ  तो  इस  धरती  पर  आया  है  और  चीखते -चिल्लाते , कराहते   और  पछताते  हुए  धरती  से  जायेगा  l  अंधकार  को  पराजित  करने  के  लिए  यदि  बहुत  छोटे  स्तर  पर  भी  प्रयास  हों  , तो  ऐसे  सामूहिक  प्रयास  से  नकारात्मक  शक्तियों  को  पराजित  किया  जा  सकता  है  l   वर्तमान  समय  लोक कल्याणकारी  राज्य  का  है  l  प्रत्येक  सरकार   अपनी  प्रजा  को  खुश  करने  के  लिए   नि :शुल्क  भोजन , अन्न , शिक्षा , चिकित्सा आदि   विभिन्न  कल्याणकारी  कार्य  करती  है  l  जैसे  कोरोना  का  इंजेक्शन  अनिवार्य  था  ,  वैसे  ही   संसार  में  सभी    सरकारें  यह  अनिवार्य  कर  दें  कि  इन  सुविधाओं  के  लेने  से  पहले  प्रत्येक  व्यक्ति  चाहे  वह  किसी  भी  धर्म  का  हो  ,  अपने  ईश्वर  का  नाम , उनका  कोई  मन्त्र  अनिवार्य  रूप  से  एक  पेज  पर  लिखकर  जमा  करे  l  चाहे  कोई  वेतनभोगी  हो , मजदूर   हो , बुजुर्ग  हो  , कोरोना  इंजेक्शन  की  तरह  यह  लिखकर  जमा  करना  अनिवार्य  हो  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  मन्त्र  को  लिखने  का  प्रभाव   कई  गुना  अधिक  होता  है  और  जब  यह  प्रयास  सामूहिक  होगा   तो  यह  अंधकार  की शक्तियां  बुरी तरह   पराजित  होंगी  l  सारे  पापकर्म  तो  इसी  धरती  पर  होते  हैं , सोचिये  , धरती  माता  को  कितना  कष्ट  होता  होगा  l  ऐसे  छोटे -छोटे  प्रयासों  से   जो लोग  न  चाहते  हुए , मजबूरीवश   विभिन्न  पापकर्मों  में  सम्मिलित  हैं   उनका  कल्याण  होगा  ,  अनेकों  आत्माएं  जो  भटक  रही  हैं  उनकी   मुक्ति  होगी  l  नकारात्मक  शक्तियों  की वजह  से  जो  अद्रश्य    प्रदूषण   होता है ,  वह  सब   साफ़  हो  जायेगा  और  संसार  में  चारों  ओर  खुशहाली  होगी  l  

14 November 2025

WISDOM ------

पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' अच्छे -बुरे वातावरण  से  अच्छी -बुरी  परिस्थितियां  जन्म  लेती  हैं   और  वातावरण  का  निर्माण   पूरी  तरह  मनुष्य  के  हाथ  में  है  ,  वह  चाहे  तो   उसे  स्वच्छ , सुन्दर  और  स्वस्थ  बनाकर   स्वर्गीय  परिस्थितियों  का  आनंद  ले  सकता  है   अथवा  उसे  विषाक्त  बनाकर   स्वयं  अपना  दम  तोड़े  l  "   आज  संसार  में  जितनी  अशांति , युद्ध  , अस्थिरता  और  तनाव    है   उसके  लिए   स्वयं  मनुष्य  ही  दोषी  है  l  मनुष्य  ने  अपनी   अनंत  इच्छाओं  , कामना  और  सुख -भोग  की  लालसा  के  लिए   भूमि , जल , वायु  सम्पूर्ण  प्रकृति  को  प्रदूषित  कर  दिया  है  l  इच्छाएं , महत्वाकांक्षा  एक  ऐसा  नशा  है   जो  कभी  समाप्त  नहीं  होता   l  उम्र  चाहे  ढल  जाए   लेकिन  मन  ललचाता  ही  रहता  है  l  और जब  प्रत्यक्ष  उपलब्ध  साधनों  से    संतुष्टि  नहीं  मिलती  तब  मनुष्य  अपनी   दमित  इच्छा  , महत्वाकांक्षा , कामना ----- आदि  की  पूर्ति  के  लिए  नकारात्मक  शक्तियों  की  मदद  लेता  है  l  तंत्र -मन्त्र ,  भूत  -प्रेत , पिशाच  आदि  को  सिद्ध  कर  अपने  मनोरथ  पूरे  करना   ,  प्राणियों  की  ऊर्जा  का  गलत  इस्तेमाल  करना  ----- इन  सबसे  अद्रश्य  वातावरण  प्रदूषित  हो  जाता  है  l  नकारात्मक  शक्तियों  को  भी  अपनी  खुराक  चाहिए  l  और  यही  कारण  है  कि  हत्याएं , दुर्घटनाएं  , युद्ध , ह्रदयविदारक  घटनाएँ   , प्राकृतिक  आपदाओं   की  तीव्रता बढ़  जाती है  l  इन  नकारात्मक  शक्तियों  की  मदद  से  व्यक्ति   अपनी  इच्छाओं  को  पूरा  कर  लेता  , बहुत  सुख -भोग  और  धन  लाभ  भी    हो  जाता  है   लेकिन  यह  कभी  भी  स्थायी  नहीं  होता  l  एक  निश्चित  समय  तक  ही  इनसे  लाभ  उठाया  जा  सकता  है   ,  ईश्वर  से  बड़ा  कोई  नहीं  है   l  किसी     का  अहित  करने  के  लिए   जब  इन  शक्तियों  का  इस्तेमाल  किया  जाता  है  ,  तब  निश्चित  समयानुसार   इनका   स्वत:  ही   पलटवार  भी  होता  है  l    आचार्य श्री  कहते  हैं  ---- ' गलत  रास्ते  से  प्राप्त  की  गई  सफलता  कभी  स्थायी  नहीं  होती  ,  यह  अंत  में  कलंकित  हो  जाती  है  l '  सच्ची  सफलता   जिसके  साथ  व्यक्ति में  उदारता , करुणा ,  भाईचारा  हो  ,  अहंकार  न  हो  ,  तब  व्यक्ति   को  जो  सम्मान  मिलता है  , वह  बड़ी  कठिन  तपस्या  से  संभव  है  l   

10 November 2025

WISDOM -----

 रामकृष्ण  परमहंस  कहते  हैं  ---- भक्त  तीन  तरह  के  होते  हैं  l  एक  तमोगुणी  भक्त  ,  जो  आज  बहुतायत  में  पाए  जाते  हैं  ,  जोर -जोर  से  चिल्लाते  हैं   भगवान  का  नाम  ,  लेकिन  जीवन  में  भगवान  कहीं  भी  नहीं  l  2 . दूसरे  रजोगुणी  भक्त  --जो बहुत  सारे  पूजा  उपचार  करता  है  , दिखाता  भी  है  , खरच  भी  करता  है  ,  पर  जीवन  में  अध्यात्म  कम  है  l  3.  तीसरे हैं  ---सतोगुणी  भक्त  --वे  जो  भी  कर  रहे  हैं   वह  पूजा  है  l  वे  ढेरों  अच्छे  काम   करते  हैं , परमार्थ  के  कार्यों  में  उनकी  भागीदारी  है  लेकिन  दंभ  जरा  भी  नहीं   करते  हैं  l  वे  अहंकार  करना  ही  नहीं  चाहते  l  वे  मात्र  प्रभु  के  विनम्र  भक्त  बने  रहना  चाहते  हैं  l                                             भक्ति  के  लिए  जाति  का  कोई  महत्व  नहीं  है  l  निषादराज , शबरी   सदन  कसाई , रसखान , रैदास  --- इनकी  जाति  भगवान  ने  नहीं   देखी  l  भगवान  कहते  हैं  --भक्त  का  कल्याण  तो  मेरी  भक्ति  से  हो  जाता  है  l  भक्त  के  लिए  रूपवान  होना , न  होना  महत्वहीन  है  l  विभीषण  बदसूरत  थे , राक्षस  थे  l  श्री  हनुमानजी  , सुग्रीव  वानर  थे  ,  पर  सभी  ईश्वर  के  भक्त  थे  l  

8 November 2025

WISDOM ------

 ऋषियों का  वचन  है  --- 'सत्य  बोलो , प्रिय  बोलो  l  लेकिन  ऐसा  सत्य  कभी  न  बोलो  जिससे  किसी का  अहित  होता  है  l  क्योंकि  जिस  सत्य  को  बोलने  से   दूसरों  का  अहित होता  है ,  उस सत्य  का  पुण्य  फल  प्राप्त  नहीं  होता   l  एक  कथा  है  ----प्राचीन  काल  में  एक  सत्यनिष्ठ  ब्राह्मण  रहा  करते  थे  l  एक बार  वे  नदी  के  किनारे  बैठकर  तपस्या  कर  रहे  थे  l  उसी  समय  कुछ  व्यक्ति  भागते  हुए  आए  उन्होंने  उस  ब्राह्मण  से  कहा   कि  डाकू   हमें  लूटने  के  लिए  हमारा पीछा  कर रहे  हैं  ,  हम  यहाँ  झाड़ियों  के  पीछे  छुप  रहे  हैं  l  यदि  कोई  हमारे  बारे  में  पूछे  तो  बताना  नहीं  l  कुछ  समय  बाद   डाकू  वहां  आए  और  ब्राह्मण  से उन  व्यक्तियों   के  विषय  में  पूछा  l  अपने  सत्य  बोलने  की  प्रतिज्ञा   को  ध्यान  में  रखते  हुए   ब्राह्मण  ने  डाकुओं  को   उन  व्यक्तियों  की  ओर  भेज  दिया  l  डाकुओं  ने  उन  व्यक्तियों  को  लूटकर  उनकी    वहीं  हत्या  कर  दी   l   कुछ  समय  बाद  ब्राह्मण  की  भी  मृत्यु  हो  गई   और  वे  यमलोक  पहुंचे   l   यमराज  ने  उन्हें  देखकर  कहा ------ " महाराज  आपने  एक  धर्मपरायण  व्यक्ति  का जीवन  जिया  l  आपके  पूरे  जीवन का  पुण्य  तो  बहुत  है  ,  लेकिन   एक   अप्रिय   सत्य  बोलने  के  कारण  आप     पाप  के  भागीदार  बने  l  इस  कारण  आपको  नरक  में  निर्धारित   समय  व्यतीत  करना  होगा  l