5 August 2025

WISDOM -----

 भगवान  बुद्ध  अपने  ज्ञान  का  प्रकाश  संसार  को  दे  रहे  थे  l  एक  सेठ  भी  उनका  प्रवचन  नियमित  सुनता  था  l  उसने  तथागत  से  कहा --- भगवन  ! मैं  नियमित  प्रवचन  सुनता  हूँ  लेकिन  मेरे  मन  में  शांति  नहीं  है  l  ईश्वर की  कृपा  कैसे मिले   ?  महात्मा  बुद्ध  ने  उस  समय  तो  कुछ  नहीं  कहा  l  दूसरे  दिन  वे  उस  सेठ  के  घर   पहुंचे  ,   उनके  आने  की   सूचना    मिलने  पर  उसने  बड़े  प्रेम  से  उनके  लिए  खीर  बनवाई  और  उनके  कमंडल  में   देने  लगा  l  उसने  आश्चर्य  से  देखा कि  कमंडल  में  तो  गोबर  भरा  हुआ  है  l  उसने  कमंडल  उठाया  , उसे  अच्छी  तरह  साफ़  किया  , फिर  उसमें  खीर   रखी  l  खीर  रखने  के  बाद  वह  तथागत  से  बोला  ---- " भगवन  !  कहीं  भिक्षा  हेतु  पधारा करें  तो   अपना  कमंडल  साफ़  करके  ही  लाया करें  l  गंदे पात्र  में  खीर  रखने  से   आहार  की   पवित्रता   नष्ट  हो  जाएगी  l  " भगवान  बुद्ध  शांत  भाव  से  बोले --- " वत्स  !  भविष्य  में  कभी  आऊंगा  तो  कमंडल  साफ  कर  के  ही  लाऊंगा  l  तुम  भी  अपना  कमंडल  साफ  रखा  करो  l "  सेठ  ने  आश्चर्य  से  कहा --- " कौन  सा  कमंडल  ? "  तथागत  बोले  ---- "  यह  तन  रूपी  कमंडल   !  मन  में  मलिनता  भरी  रहने  से   जीवन  भी  कलुषित  हो  जाता  है  l  मन  को  शांति  नहीं  मिलती  और  भगवान  की  कृपा  भी  उसमें  ठीक  से  कार्य  नहीं  करती  l  "  सेठ  को  बात  समझ  में  आ  गई   और  अब  वह  भी   अपने   दोष -दुर्गुणों  को  मिटाने  में  जुट  गया  l  

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