9 August 2025

WISDOM -----

   मानव  जीवन  में  आज  जितनी  भी  समस्याएं  हैं  ,  वे  कोई  नई  समस्या  नहीं  है  ,  ये  सब  युगों  से  चली  आ  रहीं  हैं  l   मानसिक   विकृतियां   जन्म -जन्मान्तर  के  संस्कार  हैं   जो  पीछा  नहीं  छोड़ते  l  समाज  में  , परिवार  में  जो  भी  अपराध  होते  हैं  ,  यदि  निष्पक्ष  भाव  से   सर्वे  किया  जाए  तो  यह  सत्य  सामने  आएगा  कि  उनकी   पूर्व  की  6 -7   पीढ़ियों  में  भी  लोग  इसी  तरह  के  अपराधों  में  संलग्न  रहे  हैं  l  बुरी  आदतें   संस्कार  बनकर  पीढ़ी -दर -पीढ़ी  आ   जाती   हैं  l  जब  तक  मनुष्य    संकल्प  लेकर   स्वयं  को  सुधारने  का  प्रयत्न  न  करे  सुधार  संभव  नहीं  है   ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार , स्वार्थ , लालच , महत्वाकांक्षा   जैसे  विकारों  के  कारण  ही  अशांति  है  l  सबसे  बड़ी  समस्या  यह  है  कि  आज  मनुष्य  किसी  को  खुश  नहीं  देख  सकता  l  त्रेतायुग  में  भी   यही  था  , मंथरा  को  ईर्ष्या  थी   वह  श्रीराम  को  राजगद्दी  पर   और  सीताजी  को  महारानी  के  रूप  में  नहीं  देख  सकती  थी   इसलिए  उसने  कैकयी  के  कान  भरे   कि  राम  के  लिए  राजा  दशरथ  से  वनवास  मांगो   और  भारत  के  लिए  राजगद्दी  l    अपनी  बातों  से  किसी  के  माइंड  को  वाश  कर  देना   यह  तकनीक  युगों  से  चली  आ  रही  है  l  महाभारत  में  शकुनि  ने  भी  इसी  तरह  दुर्योधन  के  मन  में  पांडवों   के  लिए  ईर्ष्या , द्वेष  भर  दिया  था  l  इसी  तकनीक  का  प्रयोग  कर  के   ईर्ष्यालु  लोग  किसी  का  घर  तोड़ते  हैं  ,  पति -पत्नी  में  झगड़े   और  परिवारों  में  क्लेश   कराते    हैं  l  हर  किसी  का  मन  इतना  मजबूत  नहीं  होता  ,  अधिकांश  लोग  कान  के  कच्चे  होते  हैं  और  बड़ी  जल्दी  दूसरों  की  बातों  में  आकर  अपना  ही  नुकसान  करा  लेते  हैं   l   जब  तक  मनुष्य  को  ईश्वर  का  और  अपने  कर्मों  के  परिणाम  का  भय  नहीं  होगा   स्थिति  में  सुधार  संभव  नहीं  है  ,  मनुष्य  इतिहास  से  शिक्षा  नहीं  लेता  ,  गलतियों  को  बार -बार  दोहराता  है  l  

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