2 August 2025

WISDOM ------

 वृक्ष  ने  पथिक  से  कहा --- " तुम  जितनी  बार  पत्थर  मारोगे  , उतनी  ही  बार  मैं  उपहार  में  फल  दूंगा  l  यह  तो  मेरा  व्रत  है l  पत्थर  का  उत्तर  पत्थर  से  देना  मुझे  नहीं  आता  , भले  ही  मुझे  कितना  ही  कष्ट  क्यों  न  हो  l "  पथिक  ने  कुढ़कर  कहा --- "  तुम  यों  फलो -फूलो   और  मैं  भूखा  फिरु, क्या यह  तुम्हारा  और  तुम्हारे  भगवान  का  अन्याय  नहीं  l "    वृक्ष  ने  हँसकर  कहा --- "  ईर्ष्या  क्यों  करते  हो  पथिक  !  मेरे  पतझड़  के  कष्टों  को  देखते  तो   पता  चलता  कि  यह  फल  मैंने  कितनी  तपस्या  कर  प्राप्त  किए  हैं  ?  तू  भी  वैसा  ही  पुरुषार्थ  कर  देखो  l  "                                                                                                                                                                 सत्य  है  किसी  को  सफल  होते  देख  उससे  ईर्ष्या  करने  वालों  की  कमी  नहीं  है  l   लोग  सफल  व्यक्ति  को  देखकर  जलते  भी  हैं  और  उसे  नीचे  गिराने   का  हर  संभव  प्रयत्न  भी  करते  हैं  l  सफलता  प्राप्त  करने  के  लिए   उसने   जो  त्याग  और  तपस्या  की , कठिन  संघर्ष  किया   , उससे  प्रेरणा  लेकर  वे   स्वयं  सफल  होने  के  लिए  कोई  प्रयत्न  नहीं  करते  l  अब  लोग  शार्ट कट  से  सफल  होना  चाहते  हैं   लेकिन  गलत  तरीके  से  प्राप्त  सफलता  में  कोई   सुकून  व  आनंद  नहीं  होता  , हमेशा  गिरने  का  भय  सताता  रहता  है  l  

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