17 October 2024

WISDOM -----

   इस  धरती  पर  ही  नहीं ,    देवलोक  में  भी  इन्द्रासन  के  लिए  देवताओं  और  असुरों  में  युद्ध  छिड़ा  रहता  है  l  अहंकार , अति  की  महत्वाकांक्षा  , स्वार्थ , लालच  सुख -भोग  की  लालसा  ---- ऐसे  अनेक  कारण   इन  युद्धों  के  लिए  उत्तरदायी  हैं  l    त्रेतायुग , द्वापर युग   में  असुरों  की  एक  पहचान  थी   l  अधर्म  का  नाश  और  धर्म  की  स्थापना  के  लिए  युद्ध  हुआ  करते  थे  l  उन  युद्धों  में  कायरता  नहीं  थी , वे  निर्दोष  प्राणियों , महिलाओं , बच्चों  ,  गर्भ  में  पल  रहे  बच्चों  पर  आक्रमण  नहीं  किया  करते  थे   लेकिन  अब   असुरता  लोगों  के  भीतर  समा  गई  है  ,  धर्म  और  अधर्म  का  भेद  करना  मुश्किल  है  l  नैतिकता  और  मर्यादा  अंधकार  में  खो  गई  है  l  अब  पापकर्म  कर  के  भी  व्यक्ति  ठप्पे  से  समाज  में  रहते  हैं  और  सम्मान  पाते  हैं   l   अब  देवत्व  तो  मुट्ठीभर  हैं  ,  असुरता  सम्पूर्ण  धरती  पर  व्याप्त  है   l  इस  युग  में  न्याय  ' जिसकी  लाठी  उसकी  भैंस  '  है  ,  ईश्वर  के  दरबार  में  भी  अनेक  कारणों  से   अपराधियों  को  दंड  देने  में  बहुत  देर  लगती  है  , इस  कारण  असुरता  को  फलने -फूलने  का  पर्याप्त  मौका  मिल  जाता  है  l  धरती  माँ , प्रकृति  , सम्पूर्ण  पर्यावरण  इस  असुरता  से  दुःखी   है  l  

WISDOM -------

   एक  गुरु  के  दो  शिष्य  थे  l  दोनों  ही  बड़े  ईश्वर  भक्त  थे  l  ईश्वर  उपासना  के  बाद  वे  आश्रम  में   रोगियों  की  चिकित्सा  में  गुरु  की  सहायता  किया  करते  थे  l  एक  दिन  उपासना  के  समय  ही   कोई  कष्ट  से  पीड़ित  रोगी  आ  पहुंचा  l  गुरु  ने  पूजा  कर  रहे  शिष्यों  को  बुलाने  के  लिए  आदमी  भेजा  l  शिष्यों  ने  कहलवा  भेजा  कि  अभी  थोड़ी  पूजा  बाकी  है  , पूजा  समाप्त  होते  ही  आ  जाएंगे  l  '  गुरूजी  ने  दोबारा  फिर  आदमी  भेजा  l  इस  बार  शिष्य  आ  गए  ,  पर  उन्होंने  अकस्मात  बुलाए  जाने  पर  असंतोष  ब्यक्त  किया   l  गुरु  ने  कहा  --- "  मैंने  तुम्हे  इस  व्यक्ति  की  सेवा  के  लिए  बुलाया  था  l  प्रार्थनाएं   तो  देवता  भी  कर  सकते  हैं  ,  किन्तु  कष्ट  पीड़ितों  की  सहायता  तो  मनुष्य  ही  कर  सकते  हैं  l   सेवा  ,  प्रार्थना  से  अधिक  ऊँची  है  क्योंकि  देवता  सेवा  नहीं  कर  सकते  l  "  शिष्य  अपने   कृत्य   पर  बड़े  लज्जित  हुए   और  उस  दिन  से  प्रार्थना  की  अपेक्षा  सेवा  को  अधिक  महत्त्व  देने  लगे  l  

11 October 2024

WISDOM -----

 मानव  जीवन  सरल  नहीं  है  , समस्याओं  से  घिरा  हुआ  है  l  व्यक्ति  चाहे  अमीर  हो  या  गरीब  हो , किसी  भी  जाति  या  धर्म  का  हो  , किसी  भी  देश  का  रहने  वाला  हो  ,  सब  की  अपनी  समस्याएं  हैं  l  इन  समस्याओं  से  भागकर  चैन  नहीं  है ,  आप  इनसे   भागेंगे  तो  ये  पीछा नहीं  छोड़ेंगी  , किसी  न  किसी  रूप  में  ये  सामने  आएँगी  l  यह  कर्मों  का  भुगतान  है  जो  हमें  चुकाना  ही  पड़ता  है  l  इसलिए  हम  समस्याओं  से  भागें  नहीं  , हम  जागरूक  हों , अपनी  विवेक  बुद्धि  को  जगाएं   और '  समाधान  '  पर  ध्यान  केन्द्रित  करें   l ----- एक  बार  चीन  के  महान  दार्शनिक  कन्फ्यूशियस   अपने  कुछ  शिष्यों  के  साथ  ताई  नामक  पहाड़ी  से  कहीं  जा रहे  थे  l  एक  स्थान  पर   वे  सहसा  रुक  गए  और  शिष्यों  से  कहा  ---- " कहीं  पर  कोई  रो  रहा  है  l "  इतना  कहकर  वे  जिस  दिशा  से  रोने  की  आवाज  आ  रही  थी  उस  ओर  चल  पड़े  l  शिष्यों  ने  भी  उनका  अनुगमन  किया  l  कुछ  दूर  जाकर  उन्होंने  देखा  कि  एक  स्त्री  रो  रही  है  l  उन्होंने  बड़ी  सहानुभूति  से  उससे  रोने  का  कारण  पूछा  l  स्त्री  ने  बताया  कि   इसी  स्थान  पर  उसके  पुत्र  को  चीते  ने  मार  डाला  l  कन्फ्यूशियस  ने  कहा ----- " किन्तु  तुम  अकेली  ही  दीखती  हो  तुम्हारे  परिवार  के  अन्य  सदस्य  कहाँ  हैं  ? "   स्त्री  ने  दुःखी  होकर  कहा --- "  अब  उसके  परिवार  में  है  ही  कौन  l  इस  पहाड़ी  पर  उसके  ससुर  और  पति  को  भी  चीते  ने  फाड़  डाला    था  l "  कन्फ्यूशियस  ने  बड़े  आश्चर्य  से  कहा --- "  तो  तुम  इस  भयंकर  स्थान  को  छोड़  क्यों  नहीं  देतीं   ? "  स्त्री  बोली -- "  इस  स्थान  को  इसलिए  नहीं  छोड़ती  क्योंकि  यहाँ  पर   किसी  अत्याचारी  का  शासन  नहीं  है  l "   महात्मा  कन्फ्यूशियस  यह  सुनकर  चकित  हो  गए   l  उन्होंने  अपने  शिष्यों  से  कहा  --- "  निश्चित  रूप  से  यह  स्त्री  करुणा  और  सहानुभूति  की  पात्र  है  l  इसकी  बात  ने  हम  लोगों  को  एक  महान  सत्य  प्रदान  किया  है  l  वह  यह  है  कि  अत्याचारी  शासक  , एक  चीते  से  अधिक  भयंकर  होता  है  l  अत्याचारी  शासन  में  रहने  की  अपेक्षा  अच्छा  है  कि  किसी  पहाड़ी  अथवा  वन  में  रह  लिया  जाए  ,  किन्तु  यह  व्यवस्था  सार्वजनिक   नहीं  हो  सकती  l  इसलिए  जनता  को  चाहिए  कि  सत्ताधारी  को  अपना  सुधार  करने  के  लिए  विवश   करने  का  उपाय  करे  l  अत्याचारी  शासन  को  भय  के  कारण  सहन  करने  वाला  समाज  किसी  प्रकार  की  उन्नति  नहीं  कर  पाता  l  विकासहीन  जीवन  बिताता  हुआ   वह  युगों  तक  नारकीय  यातना  भोगा  करता  है   और  सदा  अवनति  के  गर्त  में  पड़ा  रहकर  जिस -तिस  प्रकार  का  जीवन  व्यतीत  करता  रहता  है  l  इसलिए  अनिवार्य  है  कि  जनता  जागरूक  रहे  l "  

9 October 2024

WISDOM -----

   जानसन   नामक  एक  सज्जन   अपने  उत्साहित  कर  देने  वाले  भाषणों  के  कारण  जाने  जाते  थे  l   एक  बार  ब्रिटेन  के  एक  कसबे  में  उनका  भाषण  होने  वाला  था  l  उन्हें  लेने  के  लिए  एक  व्यक्ति  कार  से  स्टेशन  आया  l  कार  में  बैठकर  उसने  एक  भारी  कपड़ा   अपने  सिर  पर  बाँध  लिया  l  कार  चलाते -चलाते  वह  बार -बार  अपना   सिर  खिड़की  के  आगे  कर  लेता  l  जानसन  ने  उससे   ऐसा  करने  का  कारण  पूछा   तो  उसने  कहा ---- "खिड़की  का  शीशा  खराब  है  l  आपको  ठंडी  हवा  से  बचाने  के  लिए  ऐसा  कर  रहा  हूँ  l "  जानसन  ने  उससे  कहा  ---- " मेरे  लिए  इतना  कष्ट  उठाने  की   आवश्यकता  तुम्हे  नहीं  है  l "  वह  बोला  ----- "  आपके  लिए  कष्ट  उठाना   मेरे  लिए  सौभाग्य  की  बात  है  l  किसी  समय  मैं  भिखारी  था  l  एक  दिन  मैंने  आपका  उद्बोधन  सुना   और  उससे  इतना  प्रेरित  हुआ  कि  मेरा  जीवन  बदल  गया   l  आज  मैं  जो  कुछ  भी  हूँ  , आपके  कारण  हूँ  l  "   शब्द  यदि  प्रेरणादायक  हों  तो  मनुष्य  को  नवजीवन  दे  सकते  हैं  l  

4 October 2024

WISDOM ------

   राजा  ऋषभ देव   के  100  पुत्र  थे  l  उन्होंने  यह  व्यवस्था  कर  दी  थी  कि  उनकी   मृत्यु  उपरांत   ज्येष्ठ  पुत्र  भरत  को  राजगद्दी  दी  जाए   और  शेष  पुत्र  गृह  त्याग  कर  संन्यासी  हो  जाएँ   l  पिता  की   आज्ञा  शिरोधार्य  कर  वरिष्ठ  पुत्रों  ने  संन्यास  ले  लिया  l  बाहुबली  को  यह  निर्णय  स्वीकार  नहीं  हुआ  l  उसने  भरत  के  साथ   ज्ञान  की   प्रतियोगिता     रखवाई  l  उसमें  वह  जीत  गया  l  इससे  भरत  को  ईर्ष्या  हुई  l     उसने  बाहुबली  को  युद्ध  के  लिए   ललकारा  l  बाहुबली  ताकतवर  था  l  उसने  जैसे  ही  भरत  को  मारने  के  लिए  हाथ  उठाया  ,  उसे  यह  विचार  आया  कि  यदि  मैंने  अपने  भाई  के  प्राण  लेकर  राजगद्दी  संभाली  तो  राज्य  की  जनता  यही  कहेगी  कि  जो  राजा  बनने  के  लिए   अपने  भाई  का  खून  कर  सकता  है  ,  वह  जनता  की  सेवा  क्या  करेगा  ?  वह  महत्वाकांक्षा  को  त्यागकर  भरत  को  राजगद्दी  सौंपकर   मानवता  की  सेवा  हेतु  चल  पड़ा   और  तीर्थंकर  कहलाया  l  

3 October 2024

WISDOM -----

  एक  किसान  ने  अपनी  गाड़ी  में  बैलों  की  जगह  भैंसों  को  जोत  दिया  l  उसके  संगी -साथियों  ने  उसे  बहुतेरा  समझाया  ,  पर  उसे  कुछ  भी  समझ  नहीं  आया  , वह  बोला ---- " तुम  लोग  लकीर  के  फकीर   हो  l  कौन  सी  किताब  में  लिखा  है   कि  भैंस  से  खेत  नहीं  जोत  सकते  l  भैंसों  में  ज्यादा  ताकत  होती  है  ,  म मैं  तो  इन्ही  से  काम  लूँगा  l "   बड़े  शान  से  वह  भैंसों  को  लेकर  खेतों  की  ओर  चल  पड़ा   l  रास्ते  में  दलदल  पड़ा  तो   भैंसे  रास्ता  बदलकर  दलदल  में  जा  घुसे  l  किसान  ने  लाख  कोशिश  की   लेकिन  भैंसों  पर  कोई  असर  नहीं  l  सूरज  ढलने  पर  वे  खुद  बाहर  निकल  आए  l  किसान  के  मित्र  बोले ---- "  परंपरा  का  आँख  मूंदकर  पालन  करना  सही   नहीं  है  ,  पर  जो  सत्य  सामने  खड़ा  हो  ,  उससे  मुँह  फेर  लेना  मूर्खता  है  l  अब  किसान  को  बात  समझ  में  आई  l