13 May 2020

WISDOM -----

    महाभारत  एक  दूसरे  को  सम्मान  न  दे  पाने  की  भीषण  प्रतिक्रिया  के  रूप  में  ही   उभरा  था   l   बचपन  में  दुर्योधन  राजमद  में   पांडवों  को  सम्मान  न  दे  सका   l   भीम  सहज  प्रतिक्रिया  के  रूप  में   अपने  बल  का  उपयोग  कर  के   उन्हें  अपमानित - तिरस्कृत  करने  लगे   l
द्रोपदी  सहज  परिहास  में  भूल  गई   कि   दुर्योधन  को   '  अंधों  के  अंधे  '  सम्बोधन  से  अपमान  का  अनुभव  हो  सकता  है   l   दुर्योधन  द्वेषवश  नारी  के  शील  का  महत्व   ही  भूल  गया   और  द्रोपदी  को  भरी  सभा  में  अपमानित  करने  पर  उतारू  हो  गया   l   यही  सब  कारण  जुड़ते  गए   तथा  छोटी - छोटी   शिष्टाचार  की  त्रुटियों   की  चिनगारियाँ   भीषण  ज्वाला  बन  गईं   l
यदि  परस्पर  सम्मान  का  ध्यान  रखा  जा  सका  होता  ,  अशिष्टता  पर  अंकुश  रखा  जाता  ,  तो  स्नेह  बनाये  रखने  में  कोई  कठिनाई  नहीं  होती   l  भीष्म  पितामह  और  वासुदेव  जैसे  युग - पुरुषों  का  लाभ  मिल  जाता   l   वह  पूरा  काल - खंड   छल - छद्द्म ,  षड्यंत्र  और   भाई - भाई  के  आपसी  झगड़ों  में  ही  व्यतीत  हो  गया   l
महाभारत  के  विभिन्न  प्रसंग  हमें  शिक्षा  देते  हैं  कि  हम  आपस  में  झगड़कर  अपना  ही  नुकसान  करते  हैं   l  अनमोल  जीवन  को  व्यर्थ  में  गँवा  देते  हैं   l 

12 May 2020

WISDOM ------ श्रद्धा और विश्वास से रोगों का नाश

 बाबा  नीम  करौली   हनुमानजी  की  भक्ति  कर  के    हनुमान मय   हो  गए  थे  l   उन्होंने  देश  में  अनेक  स्थानों   पर    हनुमान  मंदिर  बनाए   हैं  l   वे  कहते  थे  हनुमान जी   इस  युग  के  जीवंत   देव  हैं   l   उन्हें  भाव  भरे  हृदय  से  पुकारें  ,  तो  प्रत्यक्ष  खड़े  हो  जाते  हैं   l   इनसान   हृदय  से  पुकारे   तो  कुछ  भी  असंभव  नहीं  रह  जाता   है  ,  परन्तु  पुकार  ही  तो  नहीं  पाता   है  l   व्यर्थ  की  उलझनों  में   उलझ  कर    अपना  जीवन  नष्ट  करता   रहता  है   l 
  कहते  हैं  बाबा  नीम  करौली  की  कृपा  से  सारे  रोग  मिट  जाते   हैं   l   एक  प्रसंग  है  -----  डॉक्टर  ब्रह्मस्वरूप  सक्सेना  इलाहबाद  में    होमियोपैथिक  डॉक्टर  थे   l   मकान  के  एक  हिस्से  में  ही  उन्होंने  क्लीनिक  बना  दिया  था  ,  जहाँ  वे  रोगियों  का   निरीक्षण - परीक्षण   करते  थे   l   सामान्य  जीवन  का  गुजारा   हो  जाता  था   l   एक  दिन  उनके  पास  एक  ऐसा  रोगी  आया  जिसकी  दोनों  आँखें  चेहरे  से  बाहर  निकल  आई  थीं  l   डॉक्टर  सक्सेना  ने  उससे  कहा  --- ' आप  किसी  सर्जन  के  पास  चलें  जाएँ   l   मेरे  पास  इसका  कोई  समाधान  नहीं  है  l  '  तब  रोगी  ने  कहा  --- मैं  आपसे  ही  दवा  लूंगा   और  मुझे  पूर्ण  विश्वास  है  कि   दवा  खाने  के  बाद  पूर्ण  स्वस्थ  हो  जाऊँगा  l  क्योंकि  हमारे  इष्ट  एवं   आराध्य  बाबा  नीम  करौली  ने  कहा  है   कि   आपकी  दवा  से  हम  स्वस्थ  एवं   प्रसन्न  हो  जायेंगे  l  "
 सक्सेना जी  बड़े  असमंजस  में  थे  ,  उन्होंने  उसे  दर्द निवारक  अर्निका  की  गोलियां  दीं  l   रोगी  ने  जैसे  ही  उसे   खाया  ,  उसकी  आँखें  सही  स्थित  हो  गईं  और  उसका  भयानक  चेहरा  शांत  व  सौम्य  हो  गया  l   इस  घटना  के  बाद  तो  अनेक  असाध्य  रोगी  आने  लगे  l   वे  सभी  कहते  कि   बाबा  नीम  करौली  ने  उन्हें  भेजा  है   l   सक्सेना जी  ने  बाबा  को  देखा  नहीं  था  ,  लेकिन  उनके  हृदय  में  उनके  लिए  श्रद्धा  - विश्वास  उत्पन्न  हो  गया  l
एक  दिन  बाबा  स्वयं  उनकी  क्लीनिक   आये   और  कहने  लगे----'  हाथों  में   कुछ  गर्मी  महसूस  कर  रहा  हूँ , जल्दी  से  कुछ  दवा  दे  दो  l   कुछ  अधिक  मात्रा  में  देना ,  फिर  हम  दोबारा  नहीं  आएंगे  l  '
जब  वे  बाहर  निकले  तो  मरीजों  ने  उनके  चरण स्पर्श  किए l   सक्सेना  जी  हैरान  थे  कि  इतना  धवल  व्यक्तित्व  ये  कौन  है  ?   तब  एक  मरीज  ने  कहा  --- आप  पहचानते  नहीं  ,  ये  ही  बाबा  नीम  करौली  हैं  ,  जिनकी  अलौकिक  शक्तियां   भारत  ही  नहीं  विश्व  में  प्रकाशित  हैं  l   सक्सेना  जी  को   बहुत  पश्चाताप  हुआ  कि   वे  जिसे  खोजते  रहे  ,  वे  जब  सामने  आये  तो  पहचान  न  सके  l   उन्हें  इस  बात  का  भी  दुःख  हुआ  कि   बाबा  अपनी  बारी  की  प्रतीक्षा  में  बाहर  दो  घंटे  तक  बैठे  रहे  और   बाहर  बैठे  लोगों  के  साथ  सत्संग  करते  रहे  l  इसके  बाद  सक्सेना  जी  का  जीवन  बदल  गया  , वे  सेवाभावी  हो  गए   l 

WISDOM ----- जो ईश्वर पर विश्वास रखता है उसे मृत्यु का भय नहीं होता

  ईश्वर  सत्य  है '   जिसने  भी  इस  धरती  पर  जन्म  लिया  उसकी  मृत्यु  निश्चित  है   l   लेकिन  मृत्यु  का  भय   व्यक्ति   को  जीवित  रहते  हुए  भी  मृत्यु तुल्य  बना  देता  है  l   वह  मृत्यु  के  भय  से  इधर - उधर  भागता  है  या  छिपता  फिरता  है  ,  जीवन  का  आनंद  नहीं  ले  पाता  l   निडर  होकर  जीवन  जीने  में  ही  जीवन  जीने  का  आनंद  है   l  जो  ईश्वर  विश्वासी  हैं   वे  जानते  हैं  कि   ईश्वर  ने  उन्हें  धरती  पर  रहने  का  जितना  वक्त  दिया  है ,  उसमें   एक  पल  का  भी  हेरफेर  संभव  नहीं  है  ,  इसलिए  वे  निडर  होकर  जीवन  जीते  हैं   l 
 महाभारत  का  प्रसंग  है ---- दुर्योधन  ने  भीष्म पितामह  पर  आक्षेप  किया  कि     वे  अर्जुन  के  प्रति  मोह  रखते  हैं  ,  इसलिए  पूरा  शौर्य  प्रकट  नहीं  करते  हैं   l   इस  पर  भीष्म  ने  प्रतिज्ञा  की  ---- कल  के  युद्ध  में   मैं  या  अर्जुन  - में  से  एक  की  मृत्यु  होगी   l   भीष्म  की  प्रतिज्ञा  से  पांडवों  में  खलबली  मच  गई  l   स्वयं  कृष्ण  चिंतित  हो  उठे  l   नींद  नहीं  आई  l  अर्जुन  की  क्या  स्थिति  है  यह  देखने   उनके  डेरे  में   जा  पहुंचे  l   वहां  जाने  पर  देखा  कि   अर्जुन  निश्चिन्त  होकर  स्वाभाविक  स्थिति  में  सो  रहे  हैं   l 
  कृष्ण  ने  उन्हें  जगाया   और  पूछा  --- " पार्थ  !  तुमने  भीष्म  की  प्रतिज्ञा  सुनी  ?  "
  उत्तर  मिला  --- " हाँ ,  सुनी  l  "  कृष्ण  बोले --- " फिर  भी  निश्चिन्त  कैसे  सो  रहे  हो  ? "
  अर्जुन  बोले ---- " जो  मेरे  करने  का  है  ,  सो  तो  मैं  करूँगा  ही  ,  उसके  लिए  ठीक - ठाक   विश्राम  भी  जरुरी  है  l   इसके  अतिरिक्त  क्या  करना  है  ,  यह  मेरा  रक्षक  सोचता  है   l   उसकी  जागरूकता  पर  भरोसा  है  ,  इसलिए  निश्चिन्त  सोता  हूँ  l  "

11 May 2020

WISDOM ------

  महर्षि  अरविन्द  ने  भारत  के  संदर्भ   में  कहा  था  ---- " भारत  की  कमजोरी  का   प्रमुख  कारण  दासता , गरीबी  और  धर्म  नहीं  ,  बल्कि  वह  है --- विचार  शक्ति  का  ह्रास   और  अज्ञान  का  विस्तार  l   हमें  भारत  की  वास्तविक  आत्मा  को  जाग्रत  करना  चाहिए  l  "
  श्री  अरविन्द  का  यह  कथन   आज  सम्पूर्ण  विश्व  पर  लागू   होता  है   l   कोई  विचार  किस  तरह  समाज  पर  हावी  हो  जाता  है   और  फिर  एक  निश्चित  अवधि  के  बाद  उसका  दुष्परिणाम  संसार  के  सामने  आता  है   l   इसका   उदाहरण   है --- ' चार्वाक  दर्शन '  -- इस  साहित्य  ने  उधार  लेकर  घी  पीने  की  सीख  दी  ,  जिसे  माध्यम  वर्ग  ने  बहुत  ख़ुशी  से  स्वीकार किया  l    इसकी  दूसरी  प्रमुख  बात  यह  है   कि   सम्पति  अर्जित  करने  के  लिए  मेहनत  और  ईमानदारी  की  आवश्यकता  नहीं  ,  बल्कि  अपने  दिमाग  का  प्रयोग  कर  के  कम  - से - कम   समय  में  अमीर  हुआ  जा  सकता  है   l   इसी  का  परिणाम  हुआ  की  विश्व  में   शेयर  मार्केट   चल  पड़ा  है  l
ये  विचार  सारे  संसार  में  छा  गए   l  भारत , अमेरिका  आदि  विभिन्न  देशों  में  लोगों  ने  बैंकों  से  भारी  लोन  लेकर   घर , कार  आदि  विभिन्न  सुविधाएँ  जोड़   लीं  l   शुरू  में  तो  सब  कुछ  बहुत  अच्छा  लगा  ,  लेकिन  वर्तमान  समय  जब   संसार  में  करोड़ों  लोग  बेरोजगार  हो  गए   तो  ऐसे  उधार  में  दबे  हुए  मध्यम   वर्ग  की  स्थिति  सबसे  अधिक  दयनीय  हो  गई  l
  दूसरे  विचार  का   परिणाम  यह  हुआ   कि   कुछ   लोगों   ने     बॉन्ड , शेयर , प्रतिभूति  आदि  में  निवेश  कर  के   बहुत  धन  कमा  लिया   और  अब  उसके  ब्याज  से  बिना  परिश्रम  किए   ही  दिन - प्रति दिन  अमीर  होते  जा  रहे   हैं   दूसरी  ओर   दिन - रात  मेहनत  करने  वाले  , कठोर  परिश्रम  से  अपने  परिवार  का  पेट  पालने   वाले   भोजन  के  लिए  लाइन  में  हाथ  पसारे   खड़े  हैं  या  भूखों  मरने  की  नौबत  आ  गई  l   यह  स्थिति  विश्व  के  अधिकांश  देशों  की  है  l  इस  विकट    समय  में  भी   कुछ  लोग   दिन  दूने   रात  चौगुने  अमीर  हो  रहे   और  अधिकांश  आँखों  में  आँसू   लिए  एक - एक  दाने  को  तरस  रहे  l    आसुरी  प्रवृतियों  का  तो  मुख्य  लक्षण  ही  यह  है  कि   वे  लोगों  को  निचोड़कर  , उन्हें  सता कर  ही  प्रसन्न  होती  हैं  l
  लेकिन  गरीब  के  आँसू   व्यर्थ  नहीं  जाते ,  संसार  में  तबाही  ला  देते  हैं   l   ऐसे  भयानक  परिणाम  से  हमारे  प्राचीन  ऋषि  परिचित  थे  ,  इसलिए  हमारी  प्राचीन  संस्कृति  में  श्रम  और  ईमानदारी  से  धन- उपार्जन  को  महत्व   दिया  गया  l   अथर्ववेद  में  कहा  गया  है  -- व्यापार  में  से  श्रम  और  चरित्र  को  ही  यदि  हटा  दिया  जाये  तो  फिर  वह  व्यापार  नहीं  होता  है ,  कुछ  और  हो  जाता  है  l
आज  संसार  को  जागरूक  होने  की  ,  अपनी  आत्मशक्ति  को  जाग्रत  करने  की  जरुरत  है  l 

WISDOM ---- अति की महत्वाकांक्षा व्यक्ति को अत्याचारी बना देती है

  साधु , संत , पीर , सत्पुरुष    हमेशा  अंदर  से  प्रेम  से  भरे  होते  हैं   l   सबके  लिए   समान    रूप  से  उनके   मन  में  प्रेम  होता  है  l  हरेक  के  दुःख  में  वे  दुःखी   होते  हैं  l   तैमूरलंग   ने  हजारों  हत्याएं  कीं ,  दिल्ली  और  अन्य  कई  राज्यों  पर  कब्ज़ा  किया  l   जिस  एक  राज्य  को  जीता  ,  वहां  का  राजा  काना  था  l   तैमूर  लंगड़ा  था  l   दोनों  एक  प्रसिद्ध   फकीर   के  पास  मिलने  गए   l   दोनों  ही  भीतर  से  बहुत  अशांत  थे   l  पीर  बोले ---- " खुदा  भी  अजीब - अजीब  काम  करता  है   l   अंधे - लँगड़े   को  सल्तनत  देता  है  l   वह  फकीरों  को  बादशाह  नहीं  बनाता  l   जो  हीन   भावनाओं  वाले  होते  हैं  ,  वे  ही  जरुरत  से  ज्यादा   ख्वाहिशमंद   होते  हैं  l   बड़ा  करामाती  है  खुदा   l   अब  तुम  दोनों  भुगतो   उसके  कहर  को   l  "
          दुनिया  के  कट्टर  और  खूंखार  बादशाहों  में  तैमूरलंग  का  नाम  आता  है  l   व्यक्तिगत  महत्वाकांक्षा  , अहंकार  और  जवाहरात  की  तृष्णा  से  पीड़ित   तैमूर  ने  बगदाद   में   एक  लाख  मरे  हुए  व्यक्तियों  की   खोपड़ियों  का  पहाड़  खड़ा  कराया  था  l 

10 May 2020

WISDOM ------

 कारूँ   को  अल्लाह  ने  बहुत  बड़ा  खजाना  दिया   और  कहा ---- " इस  दौलत  को  नेकी  में  खरच  कर  l "
कारूँ   दौलत  पाकर  फूला   न  समाया  l   उसने  उस  दौलत  को  बेहिसाब  उड़ाना  आरम्भ  किया  ,  राग - रंग   और  ऐशो -आराम  में  नष्ट  करने  लगा  l खजाना  खरच  होने  लगा  l   एक  दिन  जमीन   हिली   और  कारूँ   का  मकान  मय   दौलत  के  उसमे  फंस  गया   l   बची  दौलत  का  थोड़ा  सा  हिस्सा  मिल  जाये  ,  यह  सोचकर  उसने  आवाज  लगाई  l   कोई  भी  नहीं  आया  l   खुदा  के  कहर  से  उसे  निजात  नहीं  मिली  l  कारूँ   की  तरह  ही  रातोरात   अमीर  बनने  वालों  ने   इससे  एक  सीख  ली   और  सोचा  कि   अल्लाह  की  मरजी   पर   अपनी   मरजी    नहीं  रखनी   चाहिए  l   परमात्मा  की  विभूतियाँ  सदुद्देश्यों  के  लिए  हैं  l   उनका  दुरूपयोग  विनाशकारी  ही  होता  है   l 

WISDOM ------

  जब  संसार  पर  आसुरी  शक्तियों  का  आक्रमण  होता  है  और  दैवी  प्रवृतियाँ   उसके  विरुद्ध  संगठित  नहीं  होती  हैं  ,  तब  संसार  में  इसी  तरह  का  मृत्यु  का  तांडव  नजर  आता  है  l   आसुरी  शक्तियों  का  सर्वप्रथम   आक्रमण  मनुष्य  की  बुद्धि  पर  होता  है  l    मनुष्य   की    बुद्धि  , दुर्बुद्धि  में  बदल  जाती  है  ,  फिर  आसुरी  तत्व  उसे  अपने   इशारे  पर  चलाते   हैं  l
  ऐसा  इसलिए  होता  है  कि   व्यक्ति  या  एक  देश   अपनी  योग्यता ,  अपने  भीतर  छिपे  हुए  खजाने  को  नहीं  देखता  ,   दूसरे  को  अपने  से  श्रेष्ठ  समझकर  उसके  इशारे  पर  चलने  लगता  है  l   आज  से  लगभग  सौ वर्ष  पूर्व  जब   आधुनिक  इंजेक्शन ,  दवाइयाँ , वैक्सीन  आदि  का  अविष्कार  नहीं  हुआ  था   तब  प्रत्येक  देश  की  अपनी  चिकित्सा  पद्धति   थी   जैसे  भारत  में  आयुर्वेद , यूनान की   यूनानी  चिकित्सा ---- आदि  l   उस  युग  में  प्रत्येक  देश  में  एक - से  बढ़कर  वीर  और  महान  व्यक्ति   हुए  जैसे  भारत  में  महाराणा  प्रताप ,  इटली  में  गैरीबाल्डी ,  जर्मनी  में  बिस्मार्क ,  अमरीका  में  जार्ज  वाशिंगटन    आदि   अनगिनत  महान   आत्मा  इस  धरती  पर  अवतरित  हुईं  l   वे  सब  बिना  किसी  वैक्सीन  के  ,  बिना  किसी  दवाई  के  अपने  ही  देश  की  मिट्टी   में    पालन - पोषण  पाकर  महान  बनी ,  उनके  वीरता  के  किस्से  हम  आज  भी  पढ़ते  हैं  l
  लेकिन  जब  से  कृषि  और  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  घाल - मेल  हुआ    तब  से  दुनिया  में  वीरता  और  महानता  का  अकाल  पड़   गया  l   कायरता  और  संवेदनहीनता  बढ़  गई  l    इन  दोनों  क्षेत्रों  में  जो  आधुनिक  तकनीक  अपनायी  गई  है  ,  उसने  मनुष्य  के  मन  पर   नकारात्मक   असर  किया  है   l   विशेषज्ञ  भी  मानते  हैं   कि    ऐसी  दवाओं   व  वैक्सीन  का  प्रभाव  6 - 8   वर्ष  बाद  दिखाई  देता  है   l   इसलिए  हम  देखते  हैं  कि   सारी   सुख - सुविधाओं  के  बावजूद  प्रतिरोधक  क्षमता  कम  हुई  है  ,  बाल  -अपराध ,  तनाव , आत्महत्या  , पागलपन  बढ़ा  है  l  मनुष्य  दिन - प्रतिदिन  निर्दयी  होता  जा  रहा  है  l   ऐसा  लगता  है  जैसे  संवेदना , करुणा   और    मानवता  को  पोषित  करने  वाली  नस - नाड़ियों   को    इस  तकनीक  ने  सुखा   दिया  है  l   सारे  संसार  को  जागरूक  होना  होगा  ,  अन्यथा  वह  दिन  दूर  नहीं   जब  मनुष्य  चलती - फिरती  लाश  बन  जायेगा  l