6 September 2025

WISDOM ------

     पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  द्रष्टिकोण  में  बसते  हैं  स्वर्ग -नरक  l    स्वर्ग  और  नरक  किसी  स्थान  या  जिले  का  नाम  नहीं  है  ,  यह  हमारी  आँखों  से  देखने  का  एक  तरीका  है   l  जब  हम  अपने  से  पिछड़े  और  गुजरे  हुए  लोगों  की  ओर  देखते  हैं  तो  मालूम  होता  है  कि  हम  हजारों  , लाखों  करोड़ों  मनुष्यों  की  अपेक्षा  ज्यादा  सुखी   हैं  l  लेकिन  यदि  हम  आसमान  की  ओर  देखेंगे  ,  अपने  से  अधिक  संपन्न  लोगों  को  देखेंगे   तो  हमें  बड़ा  क्लेश , ईर्ष्या , द्वेष    और  जलन  होगी  कि  अमुक  के  पास  कितना  सुख -वैभव  है  और  हमारा  जीवन  दुःख  में  डूबा  हुआ  है  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  --सुख  वस्तुओं  में  नहीं  ,  यह  मनुष्य  की  सोच  है   जो  मनुष्य  को  सुखी  और  दुखी  बनाती  है  l  अपने  से  ऊपर  देखने  की  महत्वाकांक्षा  रखने  वाले   दिन  रात  जलते   रहते  हैं  l  कामनाएं  असीम  और  अपार  हैं  ,  ऐसे  लोगों  को  शांति  नहीं  है  , वे  निरंतर  अशांति  की  आग  में  जलते  रहते  हैं  l  आचार्य श्री  कहते  हैं  --मनुष्य  का  जीवन  प्रगतिशील  एवं  उन्नतिशील  होना  चाहिए  , लेकिन  अशांत  और  विक्षुब्ध  नहीं   l  एक    कथा  है  ------- एक  मल्लाह  था  ,  वे  एक  बड़ी  भारी  नाव  को  खेते  हुए  चले  आ  रहे  थे  l  थोड़ी  देर  बाद  भयंकर  तूफान  आया   और  जहाज  डगमगाने  लगा  l  मल्लाह  ने  अपने  बेटे  से  कहा  ---- "  ऊपर  जाओ  और  अपने  पाल  को  ऊपर  ठीक  से  बाँध  आओ  l  पाल  को  और  पतवार  को  ठीक  से   बाँध  दिया  जाए  तो  हवा  के  रुख  में  कमी  हो  जाएगी   और  हमारी  नाव  डगमगाने  से  बच  जाएगी  l  "     बेटा    रस्सी  के  सहारे  बांस    पर   चढ़ता  हुआ   ऊपर  गया   और  पाल  को  पतवार  से   ठीक  तरह  से  बाँध  दिया  l  उसने  देखा  कि   चारों  ओर  समुद्र  में  ऊँची -ऊँची  लहरें  उठ  हैं , तूफान  आ  रहा  है  ,  जोर  की  हवा  से  सांय -सांय  हो  रही  है   और  अँधेरा  बढ़ता  जा  रहा  है  l  मल्लाह  का  बेटा  ऊपर  से  चिल्लाया  ----' पिताजी  !  मेरी  मौत  आ  गई  ,  दुनिया  में  प्रलय  आने  वाली  है  l  देखिए !  समुद्र  में  लहरें    कितनी  जोर  से  उठती  हुई  चली  आ  रही  हैं  l  ये  लहरें  हमारे  जहाज  को  निगल  जाएँगी  l "  बूढ़ा  बाप  हुक्का  पी  रहा  था  l  उसने  कहा  ---"  बेटे  !  नजर  नीचे   की  ओर  रख   और  चुपचाप   उतरता  हुआ  चला  आ  l  "  लड़के  ने  न  आसमान  को  देखा  , न  बादलों  को  देखा  l  उसने  न  नाव  को  देखा  और  न  आदमियों  को  l  उसने  बस  नीचे  की  ओर  नजर  रखी   और  चुपचाप  नीचे  आ  गया  l    यही  शिक्षा  है  कि    इधर -उधर  न  देखकर  निरंतर   अपने  जीवन  को  सही  दिशा  में   निरंतर  प्रगतिशील  बनाने  का  प्रयास  करें  l