21 August 2025

WISDOM -----

 मनुष्य  और  पशु -पक्षियों  में  एक  बड़ा  अंतर  यह  है  कि  मनुष्य  के  पास  बुद्धि  है  , चेतना  के  उच्च  स्तर  तक  पहुँचने  की  पूर्ण  संभावनाएं  उसके  पास  हैं  l  यह  दौलत  जानवरों  के  पास  नहीं  है  l  लेकिन  दुःख  की  बात  यह  है  कि कि  मनुष्य  बुद्धि  का  सदुपयोग  नहीं  करता  ,  चेतना  के  स्तर  को  ऊँचा  उठाने  का  कोई  प्रयास  नहीं  करता  l  बुद्धि  का  दुरूपयोग  इस  सीमा  तक  करता  है  कि  वह  दुर्बुद्धि  और  एक  मानसिक  विकृति  हो  जाती  है  l ----- एक  कथा  है  ---- एक  बिल्ली  ने   अंगूर  की  बेल  पर  बहुत  से  अंगूर  देखे  l  उसका  मन  ललचा  गया  l  उसने  सोचा  कि  मैं  इसे  खाकर  ही  रहूंगी  l  बहुत  उछल -कूद  मचाई  लेकिन  एक  भी  अंगूर  उसे  न  मिल  सका  l  यह  कहते  हुए  वह  चली  गई  कि  ' अंगूर  खट्टे  हैं  l '  उसने   उन्हें  पाने  के  लिए  कोई  साजिश  नहीं  रची , कोई  षड्यंत्र  नहीं  रचा   क्योंकि  उसके  पास  यह  सब  करने  के  लिए  बुद्धि  नहीं  है  l    मनुष्य  के  पास  बुद्धि  है  , शक्ति और  सामर्थ्य  है   लेकिन  नैतिकता  की  कमी  है   तो  वह  इन  सबका  दुरूपयोग  करता  है  l  किसी  का  धन   हड़पना , परिवारों  में   फूट  डालकर  उनका  सुख  छीनना , अपने  किसी  स्वार्थ  के  लिए  पति -पत्नी  को  अलग  करा  देना  , लोगों  का  हक  छीनना  , यहाँ  तक  कि  तंत्र  आदि  नकारात्मक  क्रियाओं  से   किसी  के  जीवन  को  कष्टमय  बनाना  ---ये  सब  बुद्धि  के  दुरूपयोग   और  मानसिक  विकृति   के  लक्षण  हैं  l  समाज  में  विशेष  रूप  से  महिलाओं के  प्रति  होने  वाले  अपराध  ऐसी  ही  मानसिक  विकृति  के  उदाहरण  हैं  l  ऐसे  लोग  समाज  में   घुल-मिलकर  रहते  हैं  , उन  पर  कोई  शक  नहीं  कर  सकता  l  भूल- चूक  से  फंस  भी  गए  तो  धन  के  बल  पर  कानून  के  दंड  से  बच  जाते  हैं  l   यदि  कोई  वास्तव  में  पागल  हो   तो  उसे  ईश्वर  अलग  से  और  क्या दंड  देंगे  ?  लेकिन  जो  लोग  अपनी  बुद्धि  का  दुरूपयोग  कर  , योजनाबद्ध  तरीके  से   अपने  अहंकार  की  पूर्ति  के  लिए  साजिश  करते  हैं   उन्हें  ईश्वर  कभी  क्षमा  नहीं  करते  l  वे  चाहे  समुद्र  में  छिप  जाएँ  या  किसी  पहाड़  पर , किसी  अन्य  देश  में  चले  जाएँ  ,  उनके  कर्म  उन्हें  ढूँढ  लेते  हैं  l  ऐसी  विकृति  का  इलाज  केवल  ईश्वरीय  दंड  है  l  यह  दंड  कब  और  कैसे   मिलेगा  यह  काल  निश्चित  करता  है  l  यदि  हम  एक  सुन्दर  और  स्वस्थ   मानव -समाज  का  निर्माण  करना  चाहते  हैं   तो   बाल्यावस्था  से  ही  नैतिक  शिक्षा  और  मानवीय  मूल्यों  का  ज्ञान  अनिवार्य  होना  चाहिए  l  बचपन  से  ही  बच्चों  को  निष्काम  कर्म  और  ध्यान  के  प्रति  जागरूक  किया  जाए   तभी  हम  एक  स्वस्थ  समाज  की  उम्मीद  कर  सकते  हैं  l