शेख सादी अपने अब्बा के साथ हजयात्रा पर निकले l मार्ग में वे विश्राम करने के लिए एक सराय में रुके l शेख सादी का यह नियम था कि वे रोज सुबह उठकर अपने नमाज आदि के क्रम को पूर्ण करते थे l जब वे सुबह उठे तो उन्होंने देखा कि सराय में अधिकांश लोग सोए हुए हैं l शेख सादी को बड़ा क्रोध आया l क्रोध में उन्होंने अब्बा से कहा ---- " अब्बा हुजूर ! ये देखिए ! ये लोग कैसे जाहिल और नाकारा हैं l सुबह का वक्त परवरदिगार को याद करने का होता है और ये लोग इसे किस तरह बरबाद कर रहे हैं l इन्हें सुबह उठाना चाहिए l " शेख सादी के अब्बा बोले ---- " बेटा ! तू भी न उठता तो अच्छा होता l सुबह उठकर दूसरों की कमियाँ निकालने से बेहतर है कि न उठा जाए l " बात शेख सादी की समझ में आ गई l उन्होंने उसी दिन निर्णय लिया कि वे अपनी सोच में किसी तरह की नकारात्मकता को जगह नहीं देंगे l अपनी इसी सोच के कारण शेख सादी महामानव बने l