इस संसार में आदिकाल से ही देवताओं और असुरों में संघर्ष रहा है l असुरों का एक ही लक्ष्य होता है कि वह हर संभव प्रयास करो जिससे लोगों को अधिकाधिक शारीरिक , मानसिक कष्ट हो , वे थक -हार कर असुरता के राज्य में सम्मिलित हो जाएँ , उनकी कठपुतली बनकर ऐसे ही आतंक मचाएं l इसमें एक बात महत्वपूर्ण है कि आसुरी शक्तियां चाहे वे प्रत्यक्ष हों या विशेष तरीकों से अप्रत्यक्ष शक्तियों को वश में किया गया हो , यह दोनों ही प्रकार की आसुरी शक्तियों के कार्य करने का एक विशेष पैटर्न होता है जैसे हम देखते हैं किन्ही परिवारों में आकाल मृत्यु होती हैं , कई परिवारों में दुर्घटना से कई सदस्यों की मृत्यु होती है , किसी परिवार में पिछली पीढ़ियों से लेकर कई सदस्यों का घातक बीमारियों से अंत होता है , कहीं पीढ़ी -दर -पीढ़ी परिवार के सदस्य ही परस्पर धोखा , जालसाजी , षड्यंत्र करते हैं l यही स्थिति संसार में होती है l जितना शक्तिशाली असुर , उतने हो व्यापक क्षेत्र में उसका आतंक होता है जैसे हिरण्यकश्यप , भस्मासुर l उनके पास एक ही तरीका था --हिरण्यकश्यप कहता था , उसे भगवान की तरह पूजो , इसी बात पर वह सबको , यहाँ तक कि अपने पुत्र को भी सताता था l भस्मासुर के लिए लोगों को सताना , उसके मनोरंजन का साधन था , सबके सिर पर हाथ रखकर वह उन्हें भस्म कर देता था l वर्तमान में भी मानवता को उत्पीड़ित करने वाली जो भी घटनाएँ हो रही हैं , उनका भी एक ही पैटर्न है l असुरता बहुत शक्तिशाली है , उसे पराजित करना आसान काम नहीं है l जब मनुष्य जागरूक होगा , अध्यात्म से जुड़ेगा , जीवन के प्रति सकारात्मक सोच होगी तभी वह अपने अस्तित्व को बचा सकेगा l असुरता तो पूरे संसार पर , कृषि , चिकित्सा , उद्योग , निर्माण , शिक्षा , कला -साहित्य -------- आदि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर , यहाँ तक कि मनुष्य के मन पर भी अपना नियंत्रण करने को उतारू है l