25 September 2025

WISDOM -----

  संसार  में  अनेक  धर्म  हैं   और  सभी  धर्म  अपनी  जगह  श्रेष्ठ  हैं  ,  फिर  भी  धर्म  के  नाम  पर  झगड़े  हैं , प्रतियोगिता  है   अपने  धर्म  को  सर्वश्रेष्ठ  बताने  की  l  कलियुग  का  यही  लक्षण  है  कि  धर्म  के  नाम  पर  लड़ते -झगड़ते    धीरे -धीरे  धर्माधिकारी  स्वयं  को  दूसरे  से  श्रेष्ठ  कहलाने  के  लिए  लड़ेंगे   और  धर्म  ,  धर्म  न  रहकर  व्यापार  बन  जायेगा  l  व्यापार  लाभ  कमाने  के  लिए  किया  जाता  है   जिसमें  शोषण  हमेशा  कमजोर  पक्ष  का  होता  है   और  यह  श्रंखलाबद्ध  होता  है  l  यदि  कोई  नेता  किसी  ऐसे  धर्मगुरु  से  जुड़  जाए  जिसके  लाखों   अनुयायी  हैं  ,  तो  स्वाभाविक  है  कि  उसको  अपनी  गद्दी  पर  बने  रहने  के  लिए  उन  सबका  समर्थन  मिलेगा  l   और  उस  धर्म गुरु  को  भी  एक  छतरी  मिल  जाएगी  l  मन  तो  चंचल  होता  ही  है   जब  धन -वैभव   अति  का  है  और  छतरी  भी  मिल  गई   तो  मन  तो  कुलांचे  भरेगा  ही  ,  फिर  जो  कुछ  घटेगा   वह  समाज  देख  ही  रहा  है  l   यह  युग  मुखौटा  लगाकर  रहने  का  है  l  पाप  इतना  बढ़  गया  है  कि  मुखौटा  लगाकर  व्यक्ति  अपने  ही  परिवार  को   धोखा  देता  है  l  सामने  से  ऐसा  दिखाएंगे  कि  कितने  भगवान  के  भगत  हैं , समाजसेवी  हैं   लेकिन  उसके  पीछे  जो  कालिख  है  वो  उनकी  आत्मा  स्वयं  जानती  है  l  कई  लोगों  ने  तो  इतने  मुखौटे  लगा  लिए  हैं    कि  वे  अब  भूल  गए  कि  वे  वास्तव  में  हैं  कौन  ?   ऐसे  मुखौटों  में  सबसे  खतरनाक  साधु -संत  का  मुखौटा  है   क्योंकि  यह  गरीबों  और   इस  वेश  पर  विश्वास  करने  वालों  को  छलता  है  l  समाज  का  एक  बहुत  बड़ा  भाग  इनकी  चपेट  में  आ  जाता  है  l  इन  सब  समस्याओं  का  एक  ही  इलाज  है  कि  धर्म  सबका  व्यक्तिगत  हो  अपने  घर  में  अपने  भगवन  को  अपने  तरीके  से  पूजो   और  घर  के  बाहर  सामूहिक  रूप  से  ' मानव  धर्म  '  हो  ,  इंसानियत  ही  सबसे  बड़ा  धर्म  है  l  इन्सान  बनोगे  तभी  चेतना   परिष्कृत  होगी   अन्यथा  मनुष्य  तो  अब  पशु   और  पिशाच  बनने  की  दिशा  में  अग्रसर  है  l