ऋषियों का वचन है --- 'सत्य बोलो , प्रिय बोलो l लेकिन ऐसा सत्य कभी न बोलो जिससे किसी का अहित होता है l क्योंकि जिस सत्य को बोलने से दूसरों का अहित होता है , उस सत्य का पुण्य फल प्राप्त नहीं होता l एक कथा है ----प्राचीन काल में एक सत्यनिष्ठ ब्राह्मण रहा करते थे l एक बार वे नदी के किनारे बैठकर तपस्या कर रहे थे l उसी समय कुछ व्यक्ति भागते हुए आए उन्होंने उस ब्राह्मण से कहा कि डाकू हमें लूटने के लिए हमारा पीछा कर रहे हैं , हम यहाँ झाड़ियों के पीछे छुप रहे हैं l यदि कोई हमारे बारे में पूछे तो बताना नहीं l कुछ समय बाद डाकू वहां आए और ब्राह्मण से उन व्यक्तियों के विषय में पूछा l अपने सत्य बोलने की प्रतिज्ञा को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण ने डाकुओं को उन व्यक्तियों की ओर भेज दिया l डाकुओं ने उन व्यक्तियों को लूटकर उनकी वहीं हत्या कर दी l कुछ समय बाद ब्राह्मण की भी मृत्यु हो गई और वे यमलोक पहुंचे l यमराज ने उन्हें देखकर कहा ------ " महाराज आपने एक धर्मपरायण व्यक्ति का जीवन जिया l आपके पूरे जीवन का पुण्य तो बहुत है , लेकिन एक अप्रिय सत्य बोलने के कारण आप पाप के भागीदार बने l इस कारण आपको नरक में निर्धारित समय व्यतीत करना होगा l