4 November 2025

WISDOM -------

 संत  एकनाथ  जिस  रास्ते  स्नान  को  जाया  करते  थे  , एक  उद्दंड  व्यक्ति  का  घर  उधर  ही  था  l  वह  छत  पर  खड़ा  ताकता  रहता  , जैसे  ही  संत  एकनाथ  उधर  से  गुजरते  , वह  व्यक्ति  ऊपर  से  कूड़ा  पटककर  उन्हें  गन्दा  कर  देता  l  उन्हें  दुबारा  नहाने  के  लिए  विवश  करने  में   उसे  बहुत  मजा  आता  था  l  बहुत  दिन  ऐसे  ही  बीत  गए  l  संत  बहुत  सहनशील  थे  ,  उन्होंने  कभी  क्रोध  नहीं  किया  l  इसके  बाद  अचानक  परिवर्तन  आया  , कूड़ा  गिरना  बंद  हो  गया  l  संत को  चिंता  हुई  l  उन्होंने  इधर -उधर  पूछताछ  की   तो  मालूम  हुआ  कि  वह  व्यक्ति  बीमार  पड़ा  है  l  संत  ने  कहा  ---- 'मित्र  !  तुम  मेरा  रोज  ध्यान  रखते  थे  l  तुम्हारे  प्रयास  से  मुझे   दिन  में कई  बार  नहाने  का  मौका  मिला  l  अब  मेरी  बारी  है  कि  इस  कठिन  समय  में  मैं  तुम्हारा  ध्यान  रखूं  l  '  जब  तक  वह  व्यक्ति  बीमार  रहा  ,  संत   उसकी  सहायता  करते  और  आवश्यक  साधन  जुटाते  l  जब  वह  व्यक्ति  बीमारी  से  उठा   तो  उसका  स्वभाव बिलकुल  बदल  गया  l