14 October 2025

WISDOM ------

   यदि  मनुष्य  की  चेतना  परिष्कृत  नहीं  हुई   तो  इस  वैज्ञानिक  प्रगति  का  कोई  अर्थ  नहीं  है  l  ऐसी  प्रगति  केवल  तबाही  ही  ला  सकती  है  l  मनुष्य  अभी  भी  जाति , धर्म , ऊँच -नीच  की  बेड़ियों  में  उलझा  है  l  इस  भेदभाव  ने  लोगों  के  मन  में  इतना  जहर  भर  दिया  है  कि  वे  अपने  जीवन  का  उदेश्य  ही  भूल  गए  हैं  l  उन्हें  यह  सब  सोचने  की  फुर्सत  ही  नहीं  है  कि  वे  इस  धरती  पर  क्यों  आए  हैं  l  मन  में  यदि  जहर  भरा  है  तो  वह  जीवन  के  प्रत्येक  क्षेत्र   के  लिए  घातक  है  l  मनुष्य  यदि  सच्चे  अर्थों  में  ईश्वर  को  माने   और  ईश्वर  ने  धरती  पर  जन्म  लेकर  अपने  आचरण  से  मनुष्यों  को  जो  शिक्षा  दी  ,   वैसा  ही  मनुष्य  आचरण  करे   तभी  संसार  में  सुख -शांति  आ  सकती  है  l    भगवान  श्रीराम  ने  शबरी  के  झूठे  बेर  खाए   l  वनवास  में  उनके  सर्वप्रथम  सहायक  निषादराजगुह  थे  l  उनकी   गणना    नीची  जाति  के  शूद्रों  में  की  जाती  थी   लेकिन  भगवान  श्रीराम  ने  उन्हें  अपना  मित्र  बनाया   l   भगवान  श्रीराम  ने  तो  बन्दर , भालू , पशु -पक्षी , गिलहरी  और  सम्पूर्ण  प्रकृति  से  प्रेम  किया  l  प्रत्येक  मनुष्य  खाली  हाथ  आया  है  और  खाली  हाथ  ही  जाना  है  l  फिर  इस  बीच  के  समय  में  इतना  लड़ाई   झगड़े , भेदभाव    से  क्या  हासिल  हुआ   ?  ,  कोई  सिंहासन  मिला  क्या  ?  केवल  अपनी  ऊर्जा  और  अनमोल  जिन्दगी  गँवा  दी  l  लोग  जब  जागरूक  होंगे   तभी  संसार  में  सुख -शांति  होगी  l