बर्नार्ड शा एक प्रसिद्ध आलोचक और नाटककार थे l उनका एक प्रसिद्ध नाटक था ' मिसेज वारेंस प्रोफेशन ' इसमें समाज में फैली विकृतियों पर आक्रमण किया गया था l इसमें दिखाया गया था कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन और सभ्य ' बने रहते हैं , उनमे से कितनों का ही भीतरी जीवन कितना पतित होता है l यह रचना प्रकाशित होते ही अश्लील बताकर जब्त कर ली गई l लेकिन बाद में यह प्रतिबन्ध हटा लिया गया और इसे सच्चरित्रता की शिक्षा देने वाला माना गया l मनुष्य नाम का प्राणी जब से इस धरती पर आया तभी से विकृतियां उसमें हैं , मनुष्य ने उन्हें दूर करने का , अपने मन पर नियंत्रण करने का कभी प्रयास नहीं किया इसलिए मानव चेतना परिष्कृत नहीं हो सकी , भौतिक रूप से मनुष्य सम्रद्ध होता गया लेकिन चेतना के स्तर पर पशु से भी निम्न स्तर का हो गया l पशु तो अपनी आयु और मौसम के अनुसार आचरण करते हैं लेकिन बुद्धिमान होने के कारण और सद्बुद्धि न होने के कारण मनुष्य मनुष्यता को ही भूल जाता है और समाज से छिपकर , मुखौटा लगाकर अपनी विकृतियों को पोषण देता है l मनुष्य की सबसे बड़ी भूल यह है कि वह सोचता है कि समाज से , परिवार से छिपकर वह जो कुकृत्य करता है उसे कोई भी नहीं जान सकेगा l पं . श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' सत्य को कभी छुपाया नहीं जा सकता l मनुष्य के व्यक्तित्व में इतने छिद्र हैं कि सत्य उनमें से होकर बाहर आ ही जाता है l ' फिर परमात्मा हजार आँखों से देख रहा है , यह सम्पूर्ण प्रकृति , यूनिवर्स व्यक्ति के प्रत्येक कार्य का , उसके मन में छिपे अच्छे-बुरे विचारों का गवाह है l यदि मनुष्य प्रकृति के हर कण में ईश्वर की सत्ता को स्वीकार कर ले तभी वह पापकर्म करने से डरेगा , ईश्वर के न्याय से उसे भय होगा और यहीं से उसकी चेतना के परिष्कृत होने का मार्ग खुल जायेगा l