8 December 2025

WISDOM ----

 पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  ईर्ष्या  वह  काली  नागिन  है   जो  समस्त  पृथ्वी  -मंडल  में  जहरीली  फुफकारें  छोड़  रही  है  l  यह  गलतफहमियों   की  एक  गर्म  हवा  है  ,  जो  शरीर  के  अंदर   ' लू ' की  तरह  चलती  है   और  मानसिक  शक्तियों  को  झुलसाकर   राख  बना    देती  है  l "  आज  सम्पूर्ण  संसार  में   युद्ध , तनाव , धक्का -मुक्की  की  जो  विकट  स्थिति है   , उसका  कारण  ईर्ष्या  का  रोग  है  l व्यक्ति  धन संपन्न  हो , उच्च  पद  पर  हो  ईर्ष्या  के  रोग  से  उसका  पीछा  नहीं  छूटता  l  ईर्ष्या  की आग  इतनी  भयंकर  है   कि  इससे ईर्ष्यालु  व्यक्ति   का   तो  सुख -चैन समाप्त  हो  ही  जाता  है    और  जिससे  वह  ईर्ष्या  करता  है   उसका सुख -चैन  छीनने  में  वह  कोई  कसर  बाकी  नहीं  रखता  l पारिवारिक झगड़े , मुकदमे ,  संस्थाओं   में अशांति  , दूसरे  को  धक्का  देकर  आगे  बढ़ने  की  होड़  ,  इन  सबका  कारण  परस्पर  ईर्ष्या  ही  है  l  जीवन  जीने  की  कला कहती  है   कि  जो  ईर्ष्या  करता  है   उसे  उसका  काम  करने  दो  l यदि  वह  ईर्ष्यावश  तुम्हारी  ओर  पत्थर  फेंकता  है  ,  तो  उन  पत्थरों  से  सीढ़ी बनाकर  ऊपर  चढ़  जाओ  l  अपनी  प्रगति  पर , अपने  जीवन  को  व्यवस्थित  बनाने  पर  ध्यान  केन्द्रित  करो  l  अपने  मन  को  इतना  मजबूत  बनाओ  कि  दूसरे  हमारे  लिए  क्या  कहते  हैं  , हमारे  विरुद्ध  क्या  षड्यंत्र  रचते  हैं  , उससे  जरा  भी  विचलित  न  हो  l  वे  अपनी  ऊर्जा  व्यर्थ  के  कार्यों  में  बरबाद कर  रहे  हैं   तो  इसमें  उनका  ही  नुकसान  है  l  यदि  स्वयं  की  सोच  सकारात्मक  हो  तो  नकारात्मक  शक्तियों  का  आक्रमण  एक  चुनौती   बन  जाता है  l  चुनौती  का सकारात्मक  तरीके  से सामना  करने  में  ही   मनुष्य की  भलाई  है  l