जरथुस्त्र जब जन्में तो हँसते हुए पैदा हुए l अन्य बालकों की तरह रोए नहीं l सभी आश्चर्यचकित थे कि यह रोए क्यों नहीं l जब जरथुस्त्र बड़े हुए तो तो लोगों ने जन्म के समय हँसने का वृतांत उन्हें सुनाया और इसका रहस्य जानना चाहा l वे बोले ---- " हम तो मर रहे थे , तब भी हँस रहे थे l तब से ही परदे के पीछे से हँसते चले आ रहे हैं l हम जन्म के समय ही नहीं हँसे , हर परिवर्तन हँसकर ही झेला जाता है l " जरथुस्त्र अंतिम समय भी हँसे तो लोगों की समझ में नहीं आया कि अब क्यों हँसे ? पूछा गया तो बोले ----- " लोगों को रोते देखकर हँसी आ गई कि कितने नादान हैं ये , हम मकान बदल रहे हैं , तो इन्हें क्यों परेशानी हो रही है l " आचार्य श्री कहते हैं ----' यदि हम परिवर्तन को इसी तरह मुस्करा कर स्वीकार कर लें तो जीवन जीने का मन्त्र आ जाए l '