1 October 2025

WISDOM -----

 अहंकार  एक  ऐसा  दुर्गुण  है  जो  व्यक्ति  के  सद्गुणों  पर  पानी  फेर  देता  है  और  अनेक  अन्य  दुर्गुणों  को  अपनी  ओर  आकर्षित  कर  लेता  है  l   रावण  महापंडित , महाज्ञानी  और  परम  शिव  भक्त  था   लेकिन  बहुत  अहंकारी  था  l  उसमें  गुण  तो  इतने  थे  कि  उसकी  मृत्यु  के  समय   भगवान  राम  ने  भी  लक्ष्मण  को  उसके  पास  ज्ञान  प्राप्त  करने  के  लिए  भेजा  l  लेकिन  उसके  अहंकार  ने   उसके  सारे  गुणों  पर  परदा  डाल  दिया  ,  उसके  अहंकार  को  मिटाने  के  लिए  स्वयं  ईश्वर  को  अवतार  लेना  पड़ा  l  रावण  स्वयं  को  असुरराज  कहने  में  ही  गर्व  महसूस  करता  था  l  सम्पूर्ण  धरती  पर  उसका  आतंक  था  l  अनेक  छोटे -बड़े  और  सामान्य  असुर  ऋषियों  को  सताते  थे , उनके  यज्ञ  और  धार्मिक  अनुष्ठानों  का  विध्वंस  करते  थे  l   रावण  सभी  असुरों  का  प्रमुख  था    जिसे  वर्तमान  की  भाषा  में  ' डॉन '  कहते  हैं   l      माता  सीता  का  हरण  कर   उसने  स्वयं  ही  अपना  स्तर  गिरा  लिया  l  वह  ज्ञानी  था  और  जानता   था  कि   ऐसे  कार्य  से  उसका  समाज  में  सम्मान  कम  हो  जायेगा   इसलिए  वह  वेश  बदलकर  भिक्षा  का  कटोरा  लेकर  सीताजी  के  पास  गया  l   रावण  वध   यही  संदेश  देता  है  कि    छोटे और  साधारण  असुरों  को  मारने  से , उनका  अंत  करने  से  असुरता  के  साम्राज्य  का  अंत  नहीं  होगा   क्योंकि  वे  तो  रावण  के  टुकड़ों  पर  पलने  वाले , अपना   जीविकापार्जन  करने  वाले  थे  l  इन  सबके  मुखिया  रावण  का  अंत  करो  तभी  इस  धरती  से  अधर्म  और  अन्याय  के  साम्राज्य  का  अंत  होगा  l  इसी  उदेश्य  को  ध्यान  में  रखकर  यह  ईश्वरीय  विधान  रचा  गया  l  ईश्वर  चाहते  हैं  कि  धरती  पर  सभी  प्राणी  शांति  और  सुकून  से  रहें  लेकिन  जब  मनुष्यों  की  आसुरी  प्रवृत्ति  प्रबल  हो  जाती  है   तब  ईश्वर  कोई  विधान  अवश्य  रचते  हैं  l  

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