विधाता ने स्रष्टि की रचना की l स्रष्टि में जितने भी प्राणी हैं , उनमें मनुष्य ही सबसे बुद्धिमान है l मनुष्य के पास उसका ' मन ' भी है जिस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है l l मनुष्य का अनियंत्रित मन बुद्धि को दुर्बुद्धि में बदल देता है l दुर्बुद्धि के कारण ही आज संसार में इतनी अशांति है l अपनी बुद्धि के बल पर पहले मनुष्य विकास करता है फिर दुर्बुद्धि के कारण आपस में युद्ध , दंगे आदि कर फिर शून्य पर आ जाता है l इतिहास से शिक्षा ही नहीं लेता है l प्राचीन काल में लोगों में नैतिकता थी , संवेदना थी लेकिन अब मनुष्य संवेदनहीन है l युद्ध , दंगे जैसी परिस्थिति में उसके भीतर का राक्षस बाहर आ जाता है l वीरता के किस्सों से ज्यादा कायरता के किस्से होते हैं l युद्ध के नाम पर सबसे ज्यादा दुर्गति महिलाओं और बच्चों की होती है l युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं है l अपनी ही कमियों को देखो , समझो और उनमें सुधार करो तो समस्या स्वत: ही समाप्त हो जाएगी l
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