19 September 2025

WISDOM ------

 युग  बदलते  हैं  l  परिवर्तन  प्रकृति  का  नियम  है   l  अजीबोगरीब  घटनाएँ  देखने  को  मिलती  हैं  l   कहीं  लोगों  ने  स्वयं  को   ईश्वर  समझ  लिया  और  उस  अज्ञात  शक्ति  से  मुँह  मोड़कर   युद्ध  में  उलझ  गए  , ' मरो  और  मारो  '  पर  उतारू  हैं  l  कहीं  स्थिति  इसके  विपरीत  है   l  ईश्वर  लोगों  के  कर्मकांड  और  ढकोसलों  से  परेशान  हो  गए  ,  ईश्वर  माला , फूल , घंटी  से ---- परेशान   हो  गए  l  लोग  अपनी  बुराइयों  को  दूर  नहीं  कर  रहे , सन्मार्ग  को  भूल  गए  हैं  , तो  अब  भगवान  ने  ही  अपने  दरवाजे  बंद  कर  लिए  l  प्रकृति  माँ  परेशान  हो  गईं  l  सहन  शक्ति  की  अति  हो  गई  तो  अब  क्रोध  आना  स्वाभाविक  है  l  ' जब  नाश  मनुज  पर  छाता  है  ,  पहले  विवेक  मर  जाता  है  l '    समूचे  संसार  पर  दुर्बुद्धि  हावी  है  ,  बड़े -बड़े  लोग  जिनके  पास  दुनिया  के  सारे  सुख  हैं   लेकिन  मन  की  शांति  नहीं  है  ,  स्वयं  भी  लड़  रहे , निर्दोष  लोगों  को  अपने  अहंकार  की  खातिर  मरने  को  विवश  कर  रहे  l  दुर्बुद्धि  ने  धर्म  के  ठेकेदारों  को  भी  नहीं  छोड़ा  l  आसुरी  शक्तियां  यही  तो  चाहती  हैं   l   वर्षों  पहले  इंग्लॅण्ड  का  साम्राज्य  पूरी  दुनिया  में  था  , संसार  के  विभिन्न  देशों  में   स्वतंत्रता  के  लिए  आन्दोलन  हुए  और  साम्राज्यवाद  का  अंत  हुआ  l  यदि  किसी  एक  का  ही  सब  ओर  साम्राज्य  हो  तो   सारा  दोष  भी  उसी  के  माथे  पर  आता  है  ,  बुरा -भला  सब  सुनना  पड़ता  है  l  इसलिए  अब  आसुरी  शक्तियों  ने  नया  तरीका  खोजा  l  सारे  असुर  अब  एक  हो  गए  , संगठित  होकर   छुपकर   अपने  आसुरी  कार्य  करने  लगे  l  सब  एक  नाव  पर  सवार  हो  गए  , असली  'डॉन '  कौन  है  ?  यह  मालूम  करना  बहुत  कठिन  है  l  यह  स्थिति   परिवार  में , संस्थायों  में  , संसार  में  छोटे -बड़े  सब  स्तर  पर  है  l  जो  भी  असुरों  के  मापदंडों  से  अलग  है  ,  उस  पर   आसुरी  प्रवृति  के  लोग  गुट  बनाकर  आक्रमण  करते  हैं  , अपने  अपने  तरीकों  से  उसे  सताते  हैं  l  उन्हें  सबसे  ज्यादा  भय  अपनी  नाव  में   ' छेद '  होने  का  है  l    आसुरी  प्रवृति  ने  समूचे  संसार  को  अपनी  चपेट  में  ले  लिया  है   इसलिए  अब   भगवान   को  आना  पड़ा  है  l  गीता  का   वचन  निभाने  तो  आना  ही  पड़ेगा  l   कहीं  शिवजी  का  तृतीय  नेत्र  खुला  है ,  कहीं  परमात्मा  का  सुदर्शन  चक्र  तो  कहीं  हनुमानजी  की  गदा   प्रभावी  है  l  ईश्वर  भी  क्या  करें  ?  मनुष्य  सुधरता  ही  नहीं  है  ,  तब  यही  एक  मार्ग   है  इस  दुर्बुद्धि  को  ठिकाने  लगाने  का  l  

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