युग बदलते हैं l परिवर्तन प्रकृति का नियम है l अजीबोगरीब घटनाएँ देखने को मिलती हैं l कहीं लोगों ने स्वयं को ईश्वर समझ लिया और उस अज्ञात शक्ति से मुँह मोड़कर युद्ध में उलझ गए , ' मरो और मारो ' पर उतारू हैं l कहीं स्थिति इसके विपरीत है l ईश्वर लोगों के कर्मकांड और ढकोसलों से परेशान हो गए , ईश्वर माला , फूल , घंटी से ---- परेशान हो गए l लोग अपनी बुराइयों को दूर नहीं कर रहे , सन्मार्ग को भूल गए हैं , तो अब भगवान ने ही अपने दरवाजे बंद कर लिए l प्रकृति माँ परेशान हो गईं l सहन शक्ति की अति हो गई तो अब क्रोध आना स्वाभाविक है l ' जब नाश मनुज पर छाता है , पहले विवेक मर जाता है l ' समूचे संसार पर दुर्बुद्धि हावी है , बड़े -बड़े लोग जिनके पास दुनिया के सारे सुख हैं लेकिन मन की शांति नहीं है , स्वयं भी लड़ रहे , निर्दोष लोगों को अपने अहंकार की खातिर मरने को विवश कर रहे l दुर्बुद्धि ने धर्म के ठेकेदारों को भी नहीं छोड़ा l आसुरी शक्तियां यही तो चाहती हैं l वर्षों पहले इंग्लॅण्ड का साम्राज्य पूरी दुनिया में था , संसार के विभिन्न देशों में स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन हुए और साम्राज्यवाद का अंत हुआ l यदि किसी एक का ही सब ओर साम्राज्य हो तो सारा दोष भी उसी के माथे पर आता है , बुरा -भला सब सुनना पड़ता है l इसलिए अब आसुरी शक्तियों ने नया तरीका खोजा l सारे असुर अब एक हो गए , संगठित होकर छुपकर अपने आसुरी कार्य करने लगे l सब एक नाव पर सवार हो गए , असली 'डॉन ' कौन है ? यह मालूम करना बहुत कठिन है l यह स्थिति परिवार में , संस्थायों में , संसार में छोटे -बड़े सब स्तर पर है l जो भी असुरों के मापदंडों से अलग है , उस पर आसुरी प्रवृति के लोग गुट बनाकर आक्रमण करते हैं , अपने अपने तरीकों से उसे सताते हैं l उन्हें सबसे ज्यादा भय अपनी नाव में ' छेद ' होने का है l आसुरी प्रवृति ने समूचे संसार को अपनी चपेट में ले लिया है इसलिए अब भगवान को आना पड़ा है l गीता का वचन निभाने तो आना ही पड़ेगा l कहीं शिवजी का तृतीय नेत्र खुला है , कहीं परमात्मा का सुदर्शन चक्र तो कहीं हनुमानजी की गदा प्रभावी है l ईश्वर भी क्या करें ? मनुष्य सुधरता ही नहीं है , तब यही एक मार्ग है इस दुर्बुद्धि को ठिकाने लगाने का l
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