10 November 2025

WISDOM -----

 रामकृष्ण  परमहंस  कहते  हैं  ---- भक्त  तीन  तरह  के  होते  हैं  l  एक  तमोगुणी  भक्त  ,  जो  आज  बहुतायत  में  पाए  जाते  हैं  ,  जोर -जोर  से  चिल्लाते  हैं   भगवान  का  नाम  ,  लेकिन  जीवन  में  भगवान  कहीं  भी  नहीं  l  2 . दूसरे  रजोगुणी  भक्त  --जो बहुत  सारे  पूजा  उपचार  करता  है  , दिखाता  भी  है  , खरच  भी  करता  है  ,  पर  जीवन  में  अध्यात्म  कम  है  l  3.  तीसरे हैं  ---सतोगुणी  भक्त  --वे  जो  भी  कर  रहे  हैं   वह  पूजा  है  l  वे  ढेरों  अच्छे  काम   करते  हैं , परमार्थ  के  कार्यों  में  उनकी  भागीदारी  है  लेकिन  दंभ  जरा  भी  नहीं   करते  हैं  l  वे  अहंकार  करना  ही  नहीं  चाहते  l  वे  मात्र  प्रभु  के  विनम्र  भक्त  बने  रहना  चाहते  हैं  l                                             भक्ति  के  लिए  जाति  का  कोई  महत्व  नहीं  है  l  निषादराज , शबरी   सदन  कसाई , रसखान , रैदास  --- इनकी  जाति  भगवान  ने  नहीं   देखी  l  भगवान  कहते  हैं  --भक्त  का  कल्याण  तो  मेरी  भक्ति  से  हो  जाता  है  l  भक्त  के  लिए  रूपवान  होना , न  होना  महत्वहीन  है  l  विभीषण  बदसूरत  थे , राक्षस  थे  l  श्री  हनुमानजी  , सुग्रीव  वानर  थे  ,  पर  सभी  ईश्वर  के  भक्त  थे  l  

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