12 October 2025

WISDOM ------

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- "  मनुष्य  को  भगवान  ने  बहुत  कुछ  दिया   है  l  बुद्धि  तो  इतनी  दी  है  कि  वह  संसार  के  सम्पूर्ण  प्राणियों  का  शिरोमणि  हो  गया  l   बुद्धि  पाकर  भी  मनुष्य  एक  गलती  सदैव  दोहराता  रहता  है   और  वह  यह  है  कि  उसे  जिस  पथ  पर  चलने  का  अभ्यास  हो  गया  है  ,  वह  उसी  पर  चलते  रहना  चाहता  है  l  रास्ते  न  बदलने  से  जीवन  के  अनेक   पहलू   उपेक्षित  पड़े  रहते  हैं  l  "  आचार्य श्री  कहते हैं  ---- " धनी  धन  का  मोह  छोड़कर   दो  मिनट  त्याग  और  निर्धनता  का  जीवन  बिताने  के  लिए  तैयार  नहीं  ,  नेता  भीड़  पसंद  करता  है    वह  दो  क्षण   भी  एकांत  चिन्तन  के  लिए  नहीं  देता  l  डॉक्टर  व्यवसाय  करता  है   , ऐसा  नहीं  कि  कभी  पैसे  को  माध्यम  न  बनाए  और  सेवा  का  सुख  भी  देखे   l  व्यापारी  बेईमानी  करते  हैं  ,  कोई  ऐसा  प्रयोग  नहीं  करते  कि  देखें  ईमानदारी  से  भी  क्या  मनुष्य    संपन्न  और  सुखी  हो  सकता  है   l  जीवन  में  विपरीत  और  कष्टकर  परिस्थितियों  से  गुजरने  का  अभ्यास  मनुष्य  जीवन  में  बना  रहा  होता   तो  अध्यात्म  और  भौतिकता  में  संतुलन  बना  रहता  l "  -------  जार्ज  बर्नार्डशा   को  अपने  जीवन  में  नव -पथ  पर चलने  की  आदत  थी  l  उनका  जन्म  एक  व्यापारी  के  घर  में  हुआ   लेकिन  उन्होंने  साहित्यिक  जगत  में  उच्च  सम्मान  पाया  l  पाश्चात्य  जीवन  में   भी  उन्होंने   अपने  आपको  शराब , सुंदरी   और  मांसाहार  से  बचाकर  रखा  l  उन्होंने  यह  सिद्ध  कर  दिखाया  कि  मनुष्य  बुरी  से  बुरी   स्थिति  में  भी   अपने  आपको  शुद्ध   और  निष्कलुष  बनाए  रख  सकता  है  ,  शर्त  यह  है  कि  वह  अपने  सिद्धांत  के  प्रति   पूर्ण  निष्ठावान  हो  l  

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