6 October 2025

WISDOM ------

    कर्मफल    का  नियम  अकाट्य  है  ,  यदि  बबूल  का  पेड़  बोया  है  तो  काँटे  ही  मिलेंगे  ,  आम  नहीं  l   यदि  कोई  अपनी  चालाकी  से   किसी  की  ऊर्जा  चुरा  ले  ,  किसी  का  आशीर्वाद  लेकर   कुछ  समय  के  लिए  अपने  कुकर्मों  के  दंड  से  बच  भी  जाए  ,  तो  यह  भी  ईश्वर  का  विधान  ही  है  l  प्रत्येक  व्यक्ति  पर  जन्म -जन्मांतर  के  कर्मों  का  लेन  -देन  होता  है   ,  यह  हिसाब  किस  तरह  चुकता  होगा   यह  सब  काल  निश्चित  करता  है  l   मनुष्य  ने  जो  भी  अच्छे -बुरे  कर्म  किए  हैं  ,  उनके  परिणाम  से  वह  बच  नहीं  सकता  l  चाहे  वह  दुनिया  के  किसी  भी  कोने  में  चला  जाए  ,  उसके  कर्म  उसे  ढूंढ  ही  लेते  हैं  ,  जैसे  बछड़ा  हजारों  गायों  के  बीच  अपनी  माँ  को  ढूंढ  लेता  है  l    मनुष्य  अपनी  ओछी  बुद्धि  से  सोचता  है  कि     सिद्ध  महात्माओं  का  आशीर्वाद  लेकर , गंगा  स्नान  कर  के  उसे  अपने  पापकर्मों  से  छुटकारा  मिल  जायेगा  l  दंड  संभवतः  कुछ  समय  के  लिए  स्थगित   भले  ही  हो  जाए  लेकिन  टल  नहीं  सकता  l  ' ईश्वर  के  घर  देर  है ,   अंधेर  नहीं  l '   दुर्योधन  ने   पांडवों  का  हक  छीनने  , उन्हें  कष्ट  देने  के  लिए    जीवन  भर  छल , कपट , षड्यंत्र  किए  l    वह  तो  एक  से  बढ़कर  एक  धर्मात्माओं   गंगापुत्र  भीष्म ,  द्रोणाचार्य , कृपाचार्य  और  विदुर  की  छत्रछाया  में  था  ,  सूर्यपुत्र  कर्ण  उसका  मित्र  था   लेकिन  अधर्मी  और  अन्यायी  का  साथ  देने  के  कारण    उनका  कोई  ज्ञान  , धर्म  कुछ  काम  न  आया  l  उन  सबका  अंत  हुआ   और  दुर्योधन  तो  समूचे  कौरव  वंश  को  ही  ले  डूबा  l  

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