25 October 2025

WISDOM ------

  समर्थ  रामदासजी  सतारा  जा  रहे  थे  l  मार्ग  में  उनका  शिष्य  भोजन  लेने  पास  के  गाँव  में  गया  l  गाँव  से  भोजन   लाने   में  देर  हो  सकती  थी  इसलिए  वह  खेत  से  चार  भुट्टे  तोड़  लाया   और  उनको   भूनकर   स्वामीजी  को  दे  दिया  l   धुंआ  उठता  देख  खेत  का  मालिक  भागा -भागा  आया   और  समर्थ  स्वामी  के  हाथ  में  भुट्टे  देखकर  उन्हें  डंडे  से  मारने  लगा  l  शिष्य  कुछ  बोलता  तो उसे   चुपकर     स्वामी रामदासजी  ने  मार  खा  ली  l   दूसरे  दिन  वे  सतारा  पहुंचे  ,  उनकी  पीठ  पर  डंडे  के  निशान  थे  l   छत्रपति  शिवाजी  महाराज  तक   विवरण  पहुंचा  ,  उन्होंने  सेनानायक  से  पता  लगवा  लिया  कि  कहाँ  की  घटना  है   और  किसके  द्वारा  यह  अपराध  हुआ  है  l  शिवाजी  महाराज   स्वामीजी  को  प्रणाम  करने  आए   तो  खेत  का  मालिक  भी   वहां  लाया  गया  l  छत्रपति  शिवाजी  महाराज  ने  पूरे  राज्य  की  ओर  से  क्षमा  क्षमा  मांगते  हुए  पूछा  --- "  गुरुवर  !  क्या  दंड  दूँ  ? '  वह  किसान  समर्थ  के  चरणों  में  गिर  गया  l  समर्थ  रामदासजी  बोले  ----"  इसने  हमारे  धैर्य  और  सहन शक्ति  की  परीक्षा  ली   है  l  इसने  अपना  कर्तव्य  निभाया  है  l  इसे  दंड  न  देकर  चार  भुट्टे  की  हरजाना   नगद  राशि  के  रूप  में  दिया  जाए   तथा  एक  कीमती  वस्त्र  देकर  सम्मानित  करना  चाहिए  l  "   न्याय  का  यह  विलक्षण  रूप  देखकर   छत्रपति   गुरु  के  चरणों  में  गिर  गए  ,  धन्य  हैं  गुरुवर  आप  l  

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