20 November 2025
WISDOM -------
संसार में आज जितनी भी समस्याएं हैं उनका एकमात्र कारण मनुष्य की दुर्बुद्धि है l इस दुर्बुद्धि के कारण मनुष्य स्वयं अपने पतन के साधन जुटा लेता है l इस दुर्बुद्धि के कारण मनुष्य ने भूमि , जल , वायु , नदी तालाब सबको प्रदूषित कर दिया l अपने स्वार्थ के लिए समुद्र को गहराई तक खोद कर वहां असंतुलन कर दिया l पहाड़ों पर पिकनिक मनाकर वहां गंदगी फैला दी l अब तीर्थ जाने के पीछे कोई पुण्य प्रयोजन नहीं है , वहां एन्जॉय करना , वीडियो बनाना ---- दुर्बुद्धि है l इस कारण प्रकृति के क्रोध का सामना करना पड़ता है l ' अन्य क्षेत्रे कृतं पापं , तीर्थ क्षेत्रे विनश्यति l तीर्थ क्षेत्रे कृतं पापं , वज्रलेपो भविष्यति l l अर्थात --अन्य क्षेत्र में किया गया पाप तीर्थ क्षेत्र में नष्ट हो जाता है , किन्तु तीर्थ क्षेत्र में किया गया पाप अकाट्य होकर जन्म -जन्मान्तर तक दुःखदायी होता है l जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मनुष्य दुर्बुद्धि से ही प्रेरित है l l अब 'जियो और जीने दो ' को लोग भूल गए अब तो स्वार्थ , अहंकार और महत्वाकांक्षा इतनी है कि ' मारो -काटो , धक्का दो ---- की स्थिति है l जब स्वयं का जीवन अशांत है तो बाहर शांति कैसे होगी ? ------- एक महातम नाव पर यात्रा कर रहे थे , प्रभु कीर्तन कर रहे थे l l नाव में ही कुछ दुष्ट बैठे थे l उन्हें मसखरी सूझी l वे उनकी गंजी खोपड़ी पर चपत लगाने लगे l दूसरे लोग जो बैठे थे उनकी हिम्मत नहीं हुई कि उन्हें रोकते l आकाश के देवता यह द्रश्य देख रहे थे , बड़े क्रुद्ध हुए l उन्होंने महात्मा से कहा ---- " हे भद्र पुरुष ! आप अति सहनशील हैं l आप कहें तो नाव उलट दें , इन सबको डुबो दें l आप बताएं क्या दंड दें ? " महात्मा हँसते हुए बोले --- " उलटना और डुबोना तो सब जानते हैं l आपको देवता कहा जाता है l इन्हें उलटकर सीधा कर दीजिए l इनकी बुद्धि बदल दीजिए l डुबाने की अपेक्षा उबार दीजिए l " देवताओं ने वही किया l संसार में उलटी बुद्धि को उलटकर सीधा करने की ज्यादा जरुरत है l ईश्वर ने बार -बार अवतार लेकर असुरों का अंत किया , लेकिन असुरता का अंत नहीं हुआ l वह तो संस्कार के रूप में पीढ़ी -दर -पीढ़ी चली आ रही है और नीचे गिरना अधिक आसान होता है इसलिए संक्रामक रोग की भांति फैलती जा रही है l इसलिए इस युग में ईश्वर की यही प्रेरणा है कि अपनी दुर्बुद्धि को सद्बुद्धि में बदलो , असुरता से देवत्व की ओर कदम बढ़ाओ " इसका केवल एक ही रास्ता है ' गायत्री -मन्त्र ' जिसमें ईश्वर से सद्बुद्धि की याचना की गई है l गायत्री मन्त्र के जप के साथ इसमें बताये गए विधान के अनुसार आचरण करो तभी संसार का कल्याण संभव है l
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