22 February 2013

चंद्रमा समुद्र से बोला ,"सारी नदियों का पानी आप अपने ही पेट में जमा करते हैं ,ऐसी तृष्णा भी किस काम की ?"समुद्र ने कहा ,"जिनके पास अनावश्यक है ,उनसे लेकर बादलों द्वारा सर्वत्र न पहुंचा दूं तो स्रष्टि का क्रम कैसे चले ?यदि सब एकत्र ही करते रहेगें तो औरों को मिलेगा कैसे ?मैं तो अपना कर्तव्य निभाता हूं | अन्य क्या करते हैं ,यह नहीं देखता | "

No comments:

Post a Comment