16 February 2013

इमर्सन -"आओ हम चुप रहें ,ताकि फरिश्तों के वार्तालाप सुन सकें ।"सुप्रसिद्ध मनीषी रहती ऐडवर्ड इवरेट हेल अपनी रचना में एक छोटी बालिका के संबंध में लिखते हैं कि वह पक्षियों और वन्य जीवों के साथ खेला करती थी और बीच -बीच में पास में बने मंदिर में प्रार्थना करने के लिए जाया करती थी ।प्रार्थना करने के बाद कुछ देर बिलकुल शान्त होकर रहती वहीँ बैठी रहती ।पूछने पर कारण बताते हुए कहती कि मैं देर तक चुपचाप इसलिए बैठी रहती हूँ ताकि यह सुन सकूँ कि ईश्वर मुझसे कुछ कहना तो नहीं चाहता ।'शान्त और एकाग्र मन से ही उनसे वार्तालाप संभव है ।मौन रहकर ही अपने अन्तराल में उतरने वाले ईश्वर के दिव्य संदेशों ,को सुना समझा जा सकता है ।

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