21 March 2013

समय ही जीवन और श्रम ही वैभव है | कौन कितने दिन जिया ,इसका लेखा -जोखा जन्म दिन से लेकर मरण के दिन गिनकर नहीं ,वरन इस आधार पर लगाया जाना चाहिए कि किसने अपने समय का उपयोग महत्वपूर्ण प्रयोजन के लिये किया | आदि शंकराचार्य मात्र 32 वर्ष जिये | विवेकानंद ने 36 वर्ष की स्वल्प आयु पाई | रामतीर्थ 33 वर्ष की आयु में ही चल बसे | ऐसे अनेक व्यक्ति इस संसार में हुए हैं जिन्हें लंबी अवधि तक जीने का अवसर नहीं मिला ,पर उन्होंने अपने समय का श्रेष्ठतम उपयोग किया | कितने ही लोग लंबी आयु तक जीते हैं ,उनका आधा समय कुचक्रों और शेष समय आलस्य -प्रमाद में चला जाता है | इसे वे पहले तो जान नहीं पाते किंतु जब विदाई का दिन आता है तो आँखे खुलती हैं और हाथ मलते हुए रुधे कंठ और भरी आँखों से इतना ही कह पाते हैं कि उन्होंने बहुमूल्यअवसर निरर्थक कामों में गंवाया |    

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