16 March 2013

विश्वविजय का स्वप्न देखने वाला सिकंदर नित्य शराब पीने और राग -रंग में मस्त रहने के कारण इतना निर्बल हो चुका था कि मच्छरों के काटने पर उसका शरीर प्रतिरोध न कर सका और बेबिलोन में जाकर उसकी मृत्यु हुई | उसने जीवन भर युद्ध लड़े ,जीवन के अंत समय में उसे उन दो लड़कियों की स्मृति आ गई ,जिनने उसे नैतिक द्रष्टि से पराजित किया था | भारत के उत्तर पश्चिम प्रांत के एक गांव के पास उसकी सेनाओं ने डेरा डाला था | गांव में एक जलसा चल रहा था ,ग्रामीण युवा युवतियों के मोहक नृत्य को देखकर सिकंदर अपनी सुध -बुध खो बैठा | उसने वहीँ खाना मंगाया | दो सुंदर ग्रामीण युवतियां एक थाली को कीमती चादर से ढक कर लाईं | चादर हटाते ही सिकंदर क्रुद्ध हो उठा ,उस थाली में सोने चांदी के आभूषण थे | युवतियों ने कहा -"नाराज न हो सम्राट !हमने सुना है आप इसी के लिये भूखे हैं | इसी के लिये हजारों लाखों को मारकर आप हमारे बीच आयें हैं ,हमें हमारी जान जाने की चिंता नहीं है | आप भोजन स्वीकार करें एवं हमारा सिर काट लें | "कहते हैं इसके बाद सिकंदर विक्षिप्त हो उठा और वापस लौट गया |

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