8 March 2013

SELF KNOWLEDGE

'स्वयं के भीतर प्रकाश की छोटी सी टिमटिमाती ज्योति हो तो सारे ब्रह्मांड का सारा अंधेरा पराजित हो जाता है ,लेकिन यदि स्वयं के केंद्र पर अंधियारा हो तो बाह्य आकाश के कोटि -कोटि सूर्य भी उसे मिटा नहीं सकते | '
अपने लिये अंतरिक्ष के द्वार खोलने वाले मनुष्य ने स्वयं के अंतस के द्वार बंद कर लिये हैं | जब व्यक्ति स्वयं को बदलना चाहे ,अपने ह्रदय में सद्ज्ञान का दीप जलाये तभी उसका सुधार संभव है | पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता कराने भगवान श्री कृष्ण स्वयं शांति दूत बनकर गये लेकिन दुर्योधन का विवेक नष्ट हो चुका था उसने शांति के बजाययुद्ध का निर्णय लिया | जब तक व्यक्ति स्वयं न सुधरना चाहे उसे भगवान भी नहीं सुधार सकते | -'ईश्वर मात्र उन्ही की सहायता करते हैं ,जो अपनी सहायता आप करते हैं | '

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