4 April 2013

self -control

'मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत '
रोग की जड़ें शरीर में नहीं ,मन में होती हैं | अधिकतर समस्याएं ,विकृति,एवं विकार ,आध्यात्मिक जीवन -द्रष्टि के अभाव में पनपते हैं | यदि पीड़ित व्यक्ति की जीवन द्रष्टि सुधार दी जाये तो समस्या का समाधान हो जाता है | विचार एवं चिंतन प्रणाली को स्वस्थ ,श्रेष्ठ ,पवित्र एवं सकारात्मक रखकर ही शरीर एवं मन -मस्तिष्क को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखा जा सकता है | मानसिक संकल्प की द्रढ़ता के आगे असाध्य रोग भी ठीक होते देखे गये हैं | 

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