11 June 2013

FRIEND

'सच्चा मित्र हीरे के समान बहुमूल्य है ,भले ही वह संख्या में कम हों | झूठे मित्र तो सड़े पत्तों की तरह दुर्गंध फैलाते और जगह घेरते हैं ,भले ही वे संख्या में बहुत हैं | "
       एक भला खरगोश था | सभी पशुओं की सहायता करता और मीठा बोलता था | जंगल के सभी जानवर उसके मित्र हो गये | एक बार खरगोश बीमार पड़ा | उसने आड़े समय के लिये कुछ चारा दाना अपनी झाड़ी में जमा कर रखा था | सहानुभूति प्रदर्शन के लिये जिसने सुना ,वही दौड़ा आया और आते ही संचित चारे दाने में मुँह मारना शुरू किया | एक ही दिन में उस सबका सफाया हो गया | खरगोश अच्छा तो हो गया ,पर कमजोरी में चारा ढूंढने न जा सका और भूख से मर गया |
       उथली मित्रता और कुपात्रों की सहानुभूति सदा हानिकारक ही सिद्ध होती है | दुर्घटना का समाचार सुनकर दौड़े आने वाले सहानुभूति प्रदर्शनकर्ता प्राय:यही करते हैं |  

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