13 July 2013

SELF EXAMINATION

दूसरों में जो बुराइयां हमें दीखा करती हैं ,वे प्राय:हमारे ही ह्रदय के बुरे -भले भावों का प्रतिबिम्ब मात्र होती हैं | यदि हमारे अंदर बुरे तत्व अधिक हैं तो हमें सामने वाले की बुराइयां पहले और अधिक दिखाई देंगी | यदि हम में अच्छे तत्व अधिक हैं तो अच्छाईयां ही दिखाई देंगी |
      औरों की बुराइयां देखने के लिये ललचाने वाले बहुत हैं परंतु अपनी ओर देखने का अभ्यास बहुत कम लोगों को होता है | बहुत कम लोग मौत के पहले अपने आपको पहचान पाते हैं | महापुरुषों का जीवन निहारें तो पायेंगे कि वे हमेशा आत्म निरीक्षण करते रहे ,उनकी हर भूल उन्हें कुछ नया सुधार करने की सीख देती रही |
      यदि आप में भी महान बनने की चाहत उठे तो दूसरों को तुच्छ समझने की ,उनमे बुराइयां ढूंढने की नजर का परित्याग कर दीजिये | दूसरों को तुच्छ समझने वाला मनुष्यत्व खो देता है | औरों की गलतियां  खोजने की अपेक्षा अपनी कमियां ढूंढे और उन्हें दूर करने के लिये प्राण -पण से जुट जायें |

 अपनी शक्तियों को पहचानने और उनका सदुपयोग करने में ही मनुष्य जीवन की शान है | '

वर्तमान यदि कठिनाइयों से घिरा हुआ भी है तो ये विपतियाँ हमारे लिये वरदान हैं | मानव व्यक्तित्व कुछ ऐसा ही है ,जब तक विपतियों का आक्रमण न हो ,इसकी विभूतियों की चमक तीव्र नहीं हो पाती | चंदन की और अधिक घिसाई का अर्थ है --सुगंध का प्रति पल नया विस्तार |
अत:आत्म निरीक्षण के द्वारा अपने आप की गरिमा को पहचानिये ,कौन जाने कल के उज्जवल भविष्य में आप संसार के महान कलाकार बन जायें ,भावी समाज आपको महान विभूति के रूप में पा कर कृतकार्य हो |  

1 comment:

  1. Bade dino ke bad itni achi Hindi pedhne ko mili.aapka blog bahut he acha he dhanyavad likhte rahiye

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