अध्यात्म का पहला पाठ परिश्रम और ईमानदारी से प्राप्त सम्रद्धि है और यह कर्मयोग से ही प्राप्त होती है | कर्मयोग परिश्रम की पराकाष्ठा का नाम है | जो परिश्रम को ही त्याग बैठते हैं, वे जीवन के किसी भी आयाम में न तो उन्नति कर पाते हैं और न ही व्यक्तित्व की समग्रता को प्राप्त कर पाते हैं |
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