मन की शांति प्राप्त करने के लिये हमें अपरिग्रही होना चाहिये |
अपरिग्रह मानसिक गुण ज्यादा है | इसका अर्थ है--किसी से कुछ आशा न रखो, अपने पुरुषार्थ पर विश्वास रखो, मनोकामनाओं को मत पालो एवं साधनों को भी स्वीकार करने की वृति से दूर रहो, अनावश्यक महत्वाकांक्षाएं नहीं रखो |
यह गुण जब स्वभाव में आ जाता है तो मन इतना प्रचंड, समर्थ एवं सशक्त हो जाता है कि न्यूनतम में निर्वाह करने में संतुष्ट रहता है |
अपरिग्रही होने एवं निष्काम कर्म करने से ही परमशांति प्राप्त होती है |
अपरिग्रह मानसिक गुण ज्यादा है | इसका अर्थ है--किसी से कुछ आशा न रखो, अपने पुरुषार्थ पर विश्वास रखो, मनोकामनाओं को मत पालो एवं साधनों को भी स्वीकार करने की वृति से दूर रहो, अनावश्यक महत्वाकांक्षाएं नहीं रखो |
यह गुण जब स्वभाव में आ जाता है तो मन इतना प्रचंड, समर्थ एवं सशक्त हो जाता है कि न्यूनतम में निर्वाह करने में संतुष्ट रहता है |
अपरिग्रही होने एवं निष्काम कर्म करने से ही परमशांति प्राप्त होती है |
No comments:
Post a Comment