जगद्गुरु शंकराचार्य से मांधाता ने पूछा, -" भगवन ! सर्वोपरि देव कौन हैं, जिनकी उपासना से लोक-परलोक दोनों सधते हों | "
शंकराचार्य ने कहा--" वह है--गायत्री | गायत्री की महिमा का वर्णन करना मनुष्य की सामर्थ्य के बाहर है | सद्बुद्धि का होना इतना बड़ा कार्य है जिसकी समता संसार में और किसी से नहीं हो सकती | आत्मज्ञान प्राप्त करने की दिव्य द्रष्टि जिस बुद्धि से प्राप्त होती है, उसकी प्रेरणा गायत्री द्वारा होती है | "
शंकराचार्य ने कहा--" वह है--गायत्री | गायत्री की महिमा का वर्णन करना मनुष्य की सामर्थ्य के बाहर है | सद्बुद्धि का होना इतना बड़ा कार्य है जिसकी समता संसार में और किसी से नहीं हो सकती | आत्मज्ञान प्राप्त करने की दिव्य द्रष्टि जिस बुद्धि से प्राप्त होती है, उसकी प्रेरणा गायत्री द्वारा होती है | "
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