17 December 2017

WISDOM ------ विनम्र होकर ही व्यक्ति सही अर्थों में बड़ा बनता है

 हमारे  धर्म - ग्रँथों  का  एक  मूल  मन्त्र  है --- जो  नम्र  होकर  झुकते  हैं  ,  वही   ऊपर  उठते  हैं  l
  विनम्र  व्यक्ति  संवेदनशील  होता  है  और  दूसरों  की  भावनाओं  का  सम्मान  कर  सकता  है  l  विनम्रता  हमारे  व्यक्तित्व  में  निखार  लाती  है   l   विनम्रता  के  वास्तविक  अर्थ  को  समझाने  वाली   एक  कथा   है                एक    बार  बाबा  फरीद  से  मिलने  एक  राजा  आया ,  वह  बड़ा  अहंकारी  था  l  बाबा  के  लिए  उपहार स्वरुप  एक  तलवार  लाया  l  उसने  बाबा  से  कहा --- " यह  भेंट  आपके  लिए  है  l " भेंट  देखकर  बाबा  फरीद  बोले ----- "  यह  बेशकीमती  तलवार  मेरे  किसी  काम  की  नहीं  l  मुझे  कुछ  देना  ही  चाहते  हो  तो   सुई  के  साथ  विनम्रता  का  उपहार  दो  l  वह  मेरे  लिए  ऐसी  सौ  तलवारों  से  भी  अधिक  कीमती  होगा   l  "  राजा  कुछ  समझ  न  सका  और  बोला --- "  बाबा  !  सुई  और  विनम्रता  ऐसी  सौ  तलवारों  का  मुकाबला  कैसे  कर  सकती  है  ?
  बाबा  बोले ---- "  तलवार  लोगों  को  मारने - काटने  का  काम  करती  है   जबकि  सुई  सिलने  का  ,  चीजों  को  जोड़ने  का काम  करती  है  l  तोड़ना  आसान   है   और  जोड़ना  कठिन  l   विनम्रता  से  व्यक्ति  उन  सभी  को  जीत  लेता है   जिन्हें  वह  अहंकारवश   नहीं  जीत   सकता  l  l  "
   राजा  ने   बाबा  की  बात  का  अभिप्राय  समझा  और  उनके  चरणों  में  सिर  झुका  कर  कहा ---- "  बाबा  ! आज  आपने  मेरे  जीवन  की  दिशा  ही  बदल  दी  l  आज  से मैं  जोड़ने  का  काम  करूँगा ,  विनम्रता  से  प्रजा  की  सेवा  करूँगा   l  "   

No comments:

Post a Comment