14 April 2018

WISDOM ----- विवेक और समझदारी जरुरी है , ' अपने ' ज्यादा घातक होते हैं

 पारिवारिक  व्यवस्था  परस्पर  विश्वास  और  त्याग  पर  टिकी  है  ,  लेकिन  लालच , स्वार्थ , ईर्ष्या - द्वेष ,  कामना - वासना  ने  मनुष्य  के  भीतर  छुपे  राक्षस  को  जगा  दिया  है  l  इस  कारण  यह  व्यवस्था  चरमराने  लगी  है  l  भूमि - सम्पति  के  झगड़े,  महिलाओं  के  प्रति  घरेलू  हिंसा,    यह  सब  परिवार  में  ही  होता  है ,  इसमें  विजातीय  या  विधर्मी  नहीं  आते  l  कोई  महिला  अकेली  है ,  कमजोर  है  तो  उसकी  सम्पति  उसके  परिवार , रिश्तेदार  ही  हड़प  लेते  हैं  l
  एक  ही  बिरादरी  के  लोगों  में  ईर्ष्या  और  आपसी  दुश्मनी  इस  कदर  बढ़  जाती  है   कि  वे ' अपनों '  को  ही  परेशान  करने  के  लिए  गैरों  का , विधर्मियों  का  सहारा  लेते  हैं  l  आज  व्यक्ति  में  दोगलापन  है  ,  शराफत  और  सज्जनता  के  मुखौटे  के  पीछे  कितनी कालिक  है  !   इसी  को  समझने  और  सतर्क  रहने  की  जरुरत  है  l  

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