7 September 2018

WISDOM ------- आलस्य से बढ़कर अधिक घातक और समीपवर्ती कोई दूसरा नहीं ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

 आलस्य  मनुष्य  की  सबसे  ज्यादा  घातक  वृति  है  l  आलसी  व्यक्ति  के  अन्दर  कुछ  करने  की  प्रेरणा  नहीं  होती  ,  कुछ  काम  करने  का  उत्साह  नहीं  होता  l  आलस  मन  का  एक  स्वभाव    है  जो  दीखता  मनुष्य  के  व्यवहार  में  है   l  ऐसे  आलसी  व्यक्ति  समाज  पर  बोझ  होते  हैं  l
 ब्रिटिश  लेखक  और  राजनीतिज्ञ   बेंजामिन  डिजरायली  का  इस  बारे  में  कहना  है  कि --- ' काम  से  हमेशा  ख़ुशी  मिले  , यह  जरुरी  नहीं  ,  पर  यह  तय  है  कि  ख़ुशी  बिना  काम  किये   नहीं  मिल  सकती  l '  इसलिए  जिन्दगी  को  बेहोश  करने  वाले    आलस  के  नशे  का  त्याग  कर   जिन्दगी  की  असली  खुशी  की  तलाश  करनी  चाहिए  और  यह  हमें  बिना  काम  किये  नहीं  मिल  सकती  l  काम  कर  के  ही  हम   जिन्दगी  का  असली  सुकून   प्राप्त  कर  सकते  हैं   l  

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