मनुष्य कितने बड़े संकल्प कर सकता है और उन संकल्पों को साकार भी कर सकता है l लेकिन यदि यह सब अपने अहम् की तृप्ति के लिए किया है तो यह मनुष्य की बहुत बड़ी भूल है l जब कोई संकल्प दूसरों के हित का ध्यान रखकर किया जाता है , उसमे ' बहुजन हिताय , बहुजन सुखाय ' का सपना होता है तो उसकी दिशा सही मानी जाती है , उसके लिए किये गए प्रयासों में सफलता मिलती है और जीवन सार्थक होता है l संकल्प के पीछे यदि स्वार्थ और अहंकार है तो जीवन के सार्थक होने का प्रश्न ही नहीं होता l
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