8 August 2021

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं  ----- "   सुख   बाँटने   वाली  ,    दुःख  बँटाने   वाली    जीवन  की  एक  ही  विभूति  है   ---- संवेदना   l   आज  चारों  तरफ   यही  सूखती  जा  रही  है   l   इसके  अभाव  में  मनुष्य  स्वार्थ  केंद्रित   ,  अहं   केंद्रित   हो  गया  है   l   यदि  मनुष्य  की  मुरझाई   जिंदगी  को   फिर  से  हरा - भरा  करना  है   तो  उसे  संवेदनशील  सृजन  से  सींचना  होगा    l   निष्ठुरता , एकाकीपन  ,  अलगाव  से  भरे   आज  के  समाज  में   सतयुगी  संभावनाएं   तभी  साकार  होंगी   जब  मनुष्य  के  भीतर  संवेदना  जागेगी   l   जिस  दिन  मानव  के  अंदर  मानवीय  संवेदना  जग  जाएगी  ,  उसी  दिन   मानव  जीवन  का  स्वर्ण युग  आएगा   l 

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