5 January 2022

WISDOM------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- '  क्रोध  पल  भर  में  व्यक्ति  की  सारी  अच्छाई  को  नष्ट  कर  सकता  है   और  उससे  कुछ  भी  अनिष्ट  करवा  सकता  है  l  क्रोध  दहकते  हुए   उस  कोयले  के  समान   है  ,  जिसे  व्यक्ति  दूसरों  को  जलाने   के  लिए   अपने  पास  रखे  रहता  है  ,  अपने  मन  में  रखे  रहता  है   और  उससे  हर  पल   वह  स्वयं  ही  जलता  रहता  है  l   इसलिए  क्रोध  से  बाहर   निकालो    l  प्रेम , करुणा  और  सहिष्णुता  के  जल  से   इस  क्रोध  की  चिनगारी   को  बुझाओ  l   क्रोध  के  शांत  होते  ही   अंदर  से  सुख  और  शांति  की  प्राप्ति  होने  लगेगी  l  '

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