संसार में आज जितनी भी समस्याएं हैं उनके लिए मनुष्य स्वयं जिम्मेदार है l जीवन का कोई भी क्षेत्र हो , यदि उसमें संतुलन न हो तो अशांति उत्पन्न होती है l जैसे किसी राज्य में सुख - शांति हो , कुशल प्रशासन हो , इसके लिए एक विशेष प्रशासनिक योग्यता की आवश्यकता होती है l इसी तरह व्यापारिक कार्यों के लिए एक अलग कुशलता की आवश्यकता होती है l ये दोनों योग्यता बिलकुल अलग है और इन दोनों के उद्देश्य भी अलग हैं l अब यदि राजनीति में व्यापारिक बुद्धि का दखल हो जायेगा , तो संतुलन भंग हो जायेगा फिर उनके गुणा - भाग , लाभ सक्रिय हो जायेंगे , इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा l ' व्यापार ' यह ऐसा ही है , जिस भी क्षेत्र में घुस जाये , चाहे वह शिक्षा हो , चिकित्सा हो , सुरक्षा हो , उसी क्षेत्र का बंटाधार कर देता है l इसलिए हमारे प्राचीन ऋषियों ने हर क्षेत्र की मर्यादा निर्धारित की थी l
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