22 October 2022

WISDOM ----

   कहते  हैं  महामानवों  के  लक्षण  उनके  बाल्यकाल  से  ही  दिखाई  देने  लगते  हैं  l  नरेंद्र ( स्वामी  विवेकानंद )  बचपन  से  ही   साधु -संन्यासियों  के  प्रति   सहज  आकर्षित  हो  जाते  थे  l  कोई  भी  घर  के  सामने  से  निकलता  ,  जो  उनके  पास  होता  वह  उसे  दे  देते  l  एक  बार  एक  बाबा  आए  l  नरेंद्र  धोती  पहने  थे  ,  माँ  ने  यह  नया  वस्त्र  उसी  दिन  उन्हें  पहनाया  था  ,  उन्होंने  वही  उतार  कर  बाबा  को  दे  दिया  l  उस  बाबा  ने  उसे  पगड़ी  की  तरह  माथे  पर  लपेट  लिया   और  बालक  को  आशीर्वाद  देकर  विदा  ली   l  ऐसा  अक्सर  होता  था   इसलिए  दो  नौकरानियाँ  नरेंद्र  के  साथ  हमेशा  रहती  थीं  l  उन्हें  जिम्मेदारी  दी  गई  थी  कि   कोई  आता   दीखे   तो  नरेंद्र  को  ऊपर  कमरे  में  ले  जाएँ  l  नरेंद्र  फिर  भी  नहीं  मानते  ,  अवसर  पाते  ही  खिड़की  से  विविध  वस्तुएं   राह  चलते  साधुओं  या  भिखारियों  के  हाथ  में  डाल  देते   और  यही  सोचकर  प्रसन्न  होते   कि  आज  परिवार  के  लोगों  को  उन्होंने  परस्त  कर  दिया  l   मोहल्ले  का  ही  एक  हरि  नाम  का  बालक  उनका  हमउम्र  था  l  उसे  लेकर  मेले  से  लाइ  सीताराम  की  एक  मूर्ति  के  सामने  बैठकर  ध्यानस्थ  हो  जाते   l  ध्यान  में  वे  उस  समय  कम  आयु  में  भी  गहरी  समाधि  में  चले  जाते  थे  l  

No comments:

Post a Comment