4 March 2022

WISDOM ------

   एक  कहावत  है ---- ' खाली  बैठे  क्या  करें ,  आओ  पड़ोसन  लड़ें  l  "    एक  सत्य  घटना  है  --- लोगों  को  लड़ने  का  बहुत  शौक  होता  है   l  झुग्गी  झोंपड़ी  में  रहने  वाली  दो  महिलायें   बात  कर  रहीं  थीं  -- एक  ने  कहा  --मैं  बकरी  खरीदूंगी   l  दूसरी  ने  कहा --- तेरी  झुग्गी  में  जगह  तो  है  नहीं  कहाँ  बांधेगी  ? '  पहली  स्त्री  ने  कहा --- ' तेरी  झुग्गी  में  बांध  दूंगी ,  क्या  कर  लेगी  मेरा  ! '  बस  !  इसी  बात  पर  दोनों  में  बहस  छिड़  गई , घर    के  पुरुष  भी  इसमें  सम्मिलित  हो  गए   l  अब  झुग्गी  में  तो  इतनी  जगह  नहीं  थी  ,  इसलिए  उनकी  लड़ाई  सड़क  पर  आ  गई  l  एक -एक  कर  के  अन्य  झुग्गी  वाले  भी  इस  लड़ाई  में  जुट  गए ,  बवाल  मच  गया  l  इस  बीच  भयंकर  आँधी    चलने  लगी ,   मूसलाधार  पानी  बरसने  लगा  ,  ओले  भी  गिरे  l   महिलाएं  तो  किसी  तरह  अपनी  झुग्गी  में  चलीं   गईं  l   लेकिन  पुरुषों  में  तो  अहंकार  होता  है  ,  अपने  पौरुष  को  सार्थक  करने  का  कोई  मौका  चाहिए   l   वे  अपने - अपने   घर  से  छाता   ले  आए ,  जिसके  पास  छाता   नहीं  था   ,  उसने  सिर   पर  से  बोरी   ओढ़  ली    और  खूब  लड़े  l ' ------ यह  हाल  आजकल  पूरी  दुनिया  का  है   l   झुग्गी  में  रहने  वाले ,   गरीब  लोग  ,  निम्न   जाति   के  लोग ,  जो  बदरंग  हैं   वे  लोग   और    अनपढ़   आपस  में  लड़ें   तो  बात   समझ  में  आती  है    लेकिन  जब  रंग - रूप ,  ज्ञान - विज्ञानं ,  धन - वैभव  ,  सुख - सुविधाएँ  ,  जाति - धर्म    हर  दृष्टि  से  स्वयं  को  श्रेष्ठ  कहने  वाले   लोग  ऐसी  लड़ाई  करें  कि   धरती  शमशान  बन  जाये    तो  मन  में  एक  प्रश्न  उत्पन्न  होता  है   कि   श्रेष्ठ  कौन   ?      सभ्य  कौन   ?     यह  दुर्बुद्धि  ही  है  कि   सकारात्मक  कोई  कार्य   नजर  नहीं  आता    तो  घमासान  युद्ध  कर  के  , निर्दोष  प्राणियों  की  हत्या  कर  के  ही  लोग  समझते  हैं  कि   उनका  जीवन  सार्थक  हो  गया   l   ऐसी  बुद्धि  !

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