26 January 2023

WISDOM -----

   1 . सर मेगनियर विलियम  अंग्रेजी  के  एक   प्रसिद्ध  लेखक  हैं  l  उन्होंने  अपनी  पुस्तक  ' बुद्धिज्म  '  में  लिखा  है ---- ' ईसाई  धर्म  ईसा  के  बिना  कुछ  नहीं  है  l  मुस्लिम  धर्म  हजरत  मुहम्मद  के  बिना  कुछ  नहीं  है   l  बौद्ध  धर्म  महात्मा  बुद्ध  के  बिना  कुछ  नहीं  है  l  ये  ही  पुरुष  इन  धर्मों  के  ध्येय  अथवा  प्राण  पुरुष  हैं  l   परन्तु  मुझे  यह  सत्य  बात  कहने  में   कोई  संकोच  नहीं  होता   कि   हिन्दुओं  का  ध्येय  मन्त्र  ' गायत्री मन्त्र  ' ऐसा  है   जो   किसी  महान  पुरुष  के  बिना   ही  जीवित  रह  सकता  है  l  हिन्दू  धर्म  का  आधार  किसी  विशेष  पुरुष  पर  नहीं  है  l  इस  मन्त्र  के  द्वारा   हर  एक  मनुष्य   सीधा  परमेश्वर  से  ज्ञान  प्राप्त  कर  सकता  है  l   '                                        आज  संसार  में  धर्म  के  नाम  पर  कितनी  लड़ाई  है  l  अब  लड़ना  भी  रोजगार  का  साधन  है   l  कलियुग  में  दुर्बुद्धि  ऐसी  है  कि   धर्म  के  नाम  पर  लड़ते  हैं   लेकिन  जो  प्रत्यक्ष  देवता  हैं  , प्रतिदिन  हमें  दर्शन  देते  हैं  , उन्हें  अनदेखा  करते  हैं   l    सूर्य  भगवान  की  कृपा  से  ही    सम्पूर्ण  संसार  को  प्राण   ऊर्जा    मिलती  है  ,  उन्ही  को  अपना  भगवान  माने  तो  तन -मन  दोनों  स्वस्थ  हो  जाएँ   और  सद्बुद्धि  आए   तो   संसार  में  शांति  और  सुकून  हो   l                                                                                                                                                          2 .     आनंदमयी  माँ  न  तो  पढ़ी -लिखी  थीं  और  न  उन्होंने  धार्मिक  ग्रंथों  का  अध्ययन  किया  था  ,  पर  वे  उच्च  स्तर  के  संतों  और  विद्वानों  के  प्रश्नों  का   बराबर  उत्तर  देती  थीं l  एक  बार  ढाका  में  दार्शनिकों  का  सम्मलेन  हो  रहा  था  l   प्रसिद्ध  दर्शनशास्त्री  महेंद्र  सरकार  ने  प्रश्न  किया  -- ' माँ , आपने  दर्शनशास्त्र  का  अध्ययन  किया  है   ? '  उन्होंने  पूछा --- क्यों  ? '  महेंद्र  सरकार  बोले  ---- ' आपसे  जितने  सवाल  किए  गए    और  आपने  जो  उत्तर  दिए  ,  वे  सभी  दर्शनशास्त्र   के  अनुरूप  थे  l  यह  कैसे  संभव  हुआ  ,  यह  जानने   की  इच्छा  है  ?  '   इस  सवाल  के  जवाब  में   माँ  आनंदमयी  हँसते  हुए  बोलीं ---- ' यह  समस्त  अस्तित्व   एक   विराट  ग्रन्थ  है  ,  इसकी  रचना  स्वयं  आदिशक्ति  ने  की  है  l   उनकी  कृपा  से   जिसे  इस  ग्रन्थ  का  बोध  हो  जाता  है  ,  उसे  फिर  कुछ  और  जानना  शेष  नहीं  रह  जाता  l  

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